कविता

तहरीर

जीवन की तहरीर में जो लिखा है
उसे स्वीकारना तो पड़ेगा ही,
मगर उठिए और ठान लीजिए
अपने कर्मों से उसे बदलने का
निश्चय कर आगे बढ़िये,
तहरीर में जो लिखा है बदल डालिए।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921