कविता

ईश्वर तेरे नाम पर

ईश्वर तेरे नाम पर ,
कितना व्यापार चलता है ।
सुख की आस में,
हर इंसान दुःख के मझधार में पलता है।
ईश्वर तेरे नाम पर ,
कितना व्यापार चलता है ।
कौन ……सुखी हैं?
इस प्रश्न का उत्तर ही नहीं मिलता है।
 यह कौन -से कर्मों का फल है ।
जिसका लेखा-जोखा फलता है।
ईश्वर तेरे नाम पर ,
कितना व्यापार चलता है ।
दुनिया  भी तूने बनाई।
 इंसान भी तेरे सभी।
फिर कहां से बुरे कर्मों की,
 पहेलियाँ तुमने घड़ी।
 हर इंसान जिंदगी भर नर्क की आग में जलता है ।
कहाँ….. कौन सा स्वर्ग है ।
जो दुख -दर्द मिटाने के लिए ,
सुख की झूठी आस पर चलचित्र -सा चलता है।
— प्रीति शर्मा “असीम “

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- aditichinu80@gmail.com