हमीद के दोहे
शब्दों की कुछ भी समझ,तब तक बिल्कुल व्यर्थ।
जब तक ज़हन चढ़ें नहीं , उन शब्दों के अर्थ।
जहाँ तक नज़र जा रही, रफ दिखते हालात।
दहशत दहशत हर तरफ, दहशत की ही बात।
सुख दुख टिकते कब भला,आता जाता माल।
शुक्र करो रब का सदा, जैसा भी हो हाल।
रोज़ बनाते बस रहे, कागज़ी रोड मैप।
लेकिन करनी से रहा ,बहुत बड़ा इक गैप।
रब से है ये प्रार्थना , मेरी ये हर चंद।
आँखों का तारा रहे, हर पल सेहतमंद।
— हमीद कानपुरी