कविता

तिरंगे का परचम

स्वतंत्रता दिवस के
पावन पर्व को मनाए
कुछ इस तरह
जाति धर्म के भेद को भूलकर
बन जाए एक समान
न प्रान्त का न क्षेत्रियता का
विवाद हो कोई
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
बस भारतीयता ही
अपना धर्म बन जाए
न पंजाबी न गुजराती
न बिहारी न बंगाली
हो कोई
बस इंडियन ही अपनी
पहचान बन जाए।
आजादी के इतने सालों में
यही हमारी उपलब्धि हो
“अनेकता में एकता”
सिर्फ नारा न रहे
हम इसकी मिसाल बन जाए
विश्व के पटल पर
तिरंगे का परचम
हम शान से लहराए!!
—  विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P