राजनीति

क्रूर शासन की दूसरी पारी : तालिबान

कल तक अफगानिस्तान के संबंध में लगाए जा रहे सारे कयास सत्य साबित हुए अब अफगानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत होगी यह निश्चित हो गया अस्थान सेना कट्टर ला मिक्स आतंकी संगठन तालिबान के आगे आरंभ से ही नतमस्तक दिखाई दी कई महीनों की अमेरिकी सेना की ट्रेनिंग भी उन्हें वहाबी मानसिकता के आगे टीका ना पाए अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद ही तालिबान ने 1 महीने के अंदर अफगानिस्तान पर पुनः कब्जा कर लिया।

यह सत्ता परिवर्तन नही, यह एक प्रकार का इस्लामिक संघर्ष है, जो लगातार आरंभ से ही चला आ रहा है, अपना वर्चस्व बढाने के लिए कत्लेआम करना इनके लिए कोई नई बात नही। कबीलों से आरंभ हुआ यह विचार आज भी कबीले वादी लोगों के इशारे पर आतंक का घिनोना नाच कर रहा है। मानवता मजबूर होकर यह सब देखने को विवश है। समझने वाली बात यह है कि तालिबान के आतंक, उसके अत्याचारों का विरोध कभी किसी इस्लामिक देश ने नही किया, इसका सीधा मतलब है कि भले ही वे तालिबान का सीधे समर्थन ना करें, परन्तु परोक्ष रूप से तालिबानी हिंसा के समर्थक अवश्य है।

आज अफगानिस्तान की जो परिस्थितियां हैं लोग परेशान होकर पलायन कर रहे हैं अपनी जान बचाने के लिए एरोप्लेन के गेट पर लटक कर पंख पर बैठकर यात्रा करने को मजबूर है अधिक तस्वीर आई जिससे मानवता शर्मसार हुई अमेरिकी वायु सेना का हवाई जहाज ग्लोबमास्टर अफगानिस्तान के रनवे पर दौड़ रहा था इस हवाई जहाज के पीछे और आगे सैकड़ों की संख्या में लोग इस कोशिश में थे कि किसी भी तरह उन्हें लटकने या पकड़ कर ऊपर चढ़ने का कोई सहारा मिल जाए कितने ही लोग हवाई जहाज के टायर की स्टैंड पंख और बाहर की तरफ लटके हुए थे जैसे ही प्लान हवा में थोड़ी ऊपर गया कुछ लोग इस हवाई जहाज से नीचे भी गिरे जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई अफगानिस्तान में अगर तालिबान का शासन होगा तो लोगों में कैसा भय होगा यह आज की तस्वीर से शाम साफ दिखाई दे रहा है महिलाओं के लिए स्कूल में पढ़ना बंद होगा उनके लिए कपड़ों के लिए एक्ट्रेस कोड बन जाएगा जिसका पालन ना करने पर आपको कोड़े मारे जाएंगे एक बार फिर सेक्स अफगानिस्तान में महिलाओं को यातनाएं देकर आम चौराहे पर मारना आरंभ होगा एक बार फिर से दोषियों को ओमानी वीर तरीकों से सजा देना आरंभ होगा आतंकवादी मानसिकता का किसी देश पर शासन उस देश के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है क्योंकि कट्टर इस्लामिक उग्रवादी संगठनों की यह पैशाचिक प्रवत्ति हर तरह के लोकतंत्र को समाप्त करना चाहती है, हर तरह से विश्व को इस्लाम के नीचे लाना चाहती है, हर तरह से हर इंसान को इस्लाम के आगे झुकना चाहती है, बस इसी उद्देश्य को लेकर मदरसों के लड़कों से आरंभ हुआ यह हिंसात्मक विद्रोह आज मानवता का दुश्मन बनता जा रहा है।

तालिबान आखिर क्या है, तालिबान मदरसों के लड़कों का एक ऐसा संगठन था जो सोवियत संघ के विरुद्ध शस्त्र विद्रोह के लिए बना था, बाद में अमेरिका और पाकिस्तान के सहयोग से ये सोवियत रूस को टक्कर देने में सक्षम हुए। रूस के विरुद्ध अमेरिका का बनाया गया यह भस्मासुर अब मानवता के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। तालिबान से जुड़े मानसिकता के लोग पाकिस्तान, बंगला देश, भारत सहित विश्व के कई देशों में भी रहते है, जो अपनी सत्ता आने पर आपको इस्लाम के नियम पालने, इस्लाम स्वीकार करने, शरीयत के अनुसार चलने के लिए बाध्य करेंगे। जो हश्र आज अफगानिस्तान का हुआ, उससे सबक लेकर विश्व के अन्य देशों को सख्ती के साथ इस वहाबी मानसिकता के अंत के लिए एकजुट होना चाहिए, वरना दुनिया के हर उस देश अंजाम यही होगा, जिसने इनसे निपटने की तैयारी नही करी।

आज अफगानिस्तान की जनता दूसरे देशों में शरण लेने को भागने, पलायन करने पर विवश है, ऐसा क्यों ? क्योंकि तालिबान कट्टर इस्लामिक नियमो पर चलने वाले वे क्रूर आतताई है जो महिलाओं बच्चों बुजुर्गों किसी पर दया नही करते। पहले भी महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के लिए तालिबान अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए था। तालिबान हुकूमत में पशु होना सुखद है किंतु महिला होना नारकीय जीवन जीने जैसा। अमेरिका की सेना के अफगानिस्तान से जाते ही तालिबान अफगान सेना पर हावी हो गया, आश्चर्य की बात है लगभग तीन लाख की अफगानी सेना 70000 तालिबानी लड़ाकों से हार जाती है अफगानी राष्ट्रपति अफगानिस्तान छोड़कर भाग जाते हैं रूसी दूतावास सेम मिली एक अपुष्ट जानकारी के अनुसार अफगान राष्ट्रपति अपने साथ एक हेलीकॉप्टर में 4 गाड़ियों में बहुत अधिक मात्रा में पैसा लेकर किसी पड़ोसी मुल्क में शरण ले कर रह रहे हैं उन्होंने वहीं से सोशल मीडिया में एक संदेश जारी करते हुए यह कहा कि अफगानिस्तान मैं रक्त पात को रोकने के लिए मेरे द्वारा यह कदम उठाया गया। ताकि काबुल की 60 लाख जनता का कत्लेआम ना हो।

एक राष्ट्राध्यक्ष के इस तरह के बयान निंदनीय है। साहस और ठोस निर्णय लेने की क्षमता के अभाव में एक देश व उसके लोग आज आतंक के साए में रहने को मजबूर है। आज दुनिया के वे देश जो स्वयं को मुसलमानों का मसीहा कहते है क्या अफगानिस्तान के मुस्लिमो के प्रति उनके ह्रदय में कोई मानवता नही ? क्या अफगानिस्तान का मुस्लिम अलग इस्लाम का पालन करता था ? ऐसे तो एक देश में कुछ घटना होने पर पूरे विश्व में मुस्लिम विरोध आरंभ हो जाते। परन्तु भारत में भी तालिबान का विरोध करने आज तक कोई मौलवी या इस्लामी तंजीम आगे क्यों नही आई ? यह चिंतन करने वाले विषय है। भारत में भी कई क्षेत्रों में तालिबान का समर्थन करने वाले तत्व मौजूद है, पाकिस्तान तो खुले रूप में तालिबान का समर्थन कर रहा क्योंकि उसे लग रहा कि ऐसा करके भारत के विरुद्ध आतंकी हमलों में तालिबान उसकी मदद करेगा। यहां तक कि पाकिस्तानी न्यूज़ रूम में अफगानिस्तान में हिन्दुओ और अल्पसंख्यको के कत्लेआम के लिए दुआएं की जा रही। इन सब बातों के बाद भी यदि आप नही जाग रहे, तो आप भविष्य में अपने बच्चो को, अपने देश को इसी परिस्थिति में भेज रहे है।

इस आतंक के विरुद्ध एक ठोस रणनीति के साथ सरकार को जनता का भी सहयोग चहिएगा। वैसे भारत के सक्षम सरकार को देखते हुए यह लगता है कि तालिबान भारत के विरुद्ध सीधे आतंकी कार्यवाही में हिस्सा नही लेगा।

— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश