कविता

वृक्ष लगाओ पुण्य कमाओ

पुण्य कमाओ या न कमाओ
पहले अपना जीवन बचाओ,
धरा की हरियाली न मिटाओ
अपने हाथों ही जीवन न गँवाओ।
धरती को न वीरान करो
सड़कों को न शमशान करो
प्राणवायु का संकट अभी तो झेला है
प्राण संकट में हो,ऐसा कुछ न करो।
माना कि एक अकेले तुम्हारे से
कुछ भी नहीं होने वाला,
मगर आगे आकर पहले
अपना फर्ज तो निभाओ।
रोना बाद में रो लेना
पहले अपने हिस्से का
दस पेड़ तो लगाओ।
कोई किसी को नसीहत न दो
सिर्फ दस पेड़ लगाओ,
किसी और की खातिर नहीं
अपनों खातिर आगे आओ।
वृक्षविहीन होती धरती
देखोआज सिसक रही है,
हमारी बेवकूफियों से
महसूस करो हाँफ रही है।
अब हम सब की जिम्मेदारी है
पुण्य कमाने के लिए ही सही,
धरा पर हरियाली बढ़ाने और
पेड़ लगाने की अब हमारी बारी है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921