लघुकथा

गांधी जी

दादा जी ये किसकी तस्वीर है जो हमारे घर की दीवार पर लगीं है।राजू ये गांधी जी की तस्वीर है।आज हम आजाद हैं ना।तो उनकी ही बदौलत।तुम इनको नहीं जानते।दादा जी ने पूछा।राजू जानता तो हूं। कहां देखी है तुमने।अपने घर की दीवार को छोड़कर। हां देखी है ना नोट में । हां ठीक कहते हो। मैंने तो एक बात और देखी है।अच्छा बताओ। मैंने देखा है कि बाबू जी जो हमारे सरकारी दफ्तर में बैठते हैं।उनने किसी गरीब से जो पैसे मांगे थे। उनमें भी बापू को देखा।बताओ न दादा जी वो किस पर हंस रहे थे। दादा जी ने बात को तो टाल दिया पर वो भी जानते थे बापू की हंसी कारण मगर वो किस मुंह से बतलाते कि वो बाबू जी पर हंस रहे थे

जब उसने रिश्र्वत की मांग की थी ।वो हंसी दादा जी को और भी चुभ रही थी।मगर दादा जी चुप थे

 

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश