बाल कविता

दो बिल्लियां और बंदर

नीलू-शीलू लगीं झगड़ने,
रोटी कौन बड़ी खाएगा?
”बंदर मामा, तुम्हीं बता दो,
रोटी कौन बड़ी पाएगा?”
छोटी एक तराजू लेकर,
रोटी लगा तोलने बंदर,
थोड़ी-सी भारी पलड़े से,
रोटी तोड़ खा गया बंदर.
पलड़ा अब दूजा भारी था,
उसका भी कुछ टुकड़ा खाया,
सारी रोटी खाते देखकर,
बिल्लियों का अब जी घबराया.
बोलीं, ”रहने दो अब मामा,
स्वयं फैसला हम कर लेंगी”,
बाकी भी खा, बंदर बोला,
अब लड़ने का मज़ा चखें जी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244