बाल कविता

सबको खुश नहीं कर सकते

शहर चला जब मंगलू भाई,
बोले लोग, ”तू है ही लल्लू,
काम गधे से क्यों नहीं लेता?
थक जाएगा बेटा कल्लू.”
बैठ गधे पर कल्लू बेटा,
चलने लगा, तो फिर कुछ बोले,
”पागल मंगलू, थक जाओगे,
बैठ गधे पर चल रे भोले.”
बैठ गधे पर मंगलू-कल्लू,
चलने लगे तो कोई बोला,
”बड़े दुष्ट हो मंगलू भाई,
गधा बिचारा तो है भोला.”
लोगों को खुश करने हेतु,
गधा उठाकर लगे थे चलने,
”कैसा मूरख मंगलू भाई!”
कहकर लोग लगे थे हंसने.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244