राजनीति

प्रस्तावित नोटरी (संशोधन) विधेयक 2021

समय बड़ा बलवान रे भैया समय बड़ा बलवान!!! बदलते समय के परिवेश में आज हर काबिलियत, विश्वस्तता रिश्तेदारी, परिवार, आय-व्यय, जात-पात हर बात के लिए दस्तावेज या प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। दशकों पूर्व के गए वो ज़माने जब मुख के निकले शब्दों की वाणी पर विश्वास की दस्तक लग जाती थी!! और बात पत्थर की लकीर बन जाती थी!!! साथियों आज हर बात के लिए दस्तावेज और प्रमाण पत्र की आवश्यकता आ गई है! आप जिंदा है तो उसका प्रमाण पत्र!! आपकी मृत्यु हो गई है तो उसका भी प्रमाण पत्र का यूग आ गया है!!! साथियों और तो और उस दस्तावेज को आज फ़िर सत्यापित और प्रमाणित करना भी की आवश्यक हो गया है, जिसे आज के ज़माने में नोटरी का नाम दिया गया है!! साथियों दस्तावेजों को सत्यापित करने का अर्थ सबूत और तथ्यों के आधार पर दस्तावेज जांचना हैं जबकि प्रमाणीकरण का अर्थ नोटरी वाला, सामने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर से उसकी प्रमाणिकता से खुद को आश्वस्त करता है। किसी भी कार्य के लिए नोटरी नियमावली 1956 के अनुसार फीस निर्धारित होती है जो 4 श्रेणियों में विभाजित है। नोटरी बनने के लिए कम से कम 10 साल की प्रैक्टिस, एससी एसटी, महिलाओं को 7 साल की प्रैक्टिस अनिवार्य है अगर कोई व्यक्ति 10 साल केंद्र या राज्य सरकारों में लीगल सर्विस में से जुड़ा है तो वह भी नोटरी बन सकता है। सीधी भाषा में कहें तो नोटरी एक प्रकार का प्रमाणिकता पर मोहर होता है।साथियों बात अगर हम नोटरी अधिनियम 1952 की करें तो इसमें केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारों को भी अधिकार है कि वह निर्धारित योग्यता वालों को नोटरी नियुक्त कर सकते हैं। विशेष बात यह है कि वर्तमान समय में एक बार नोटरी नियुक्त हो जाने पर उसे असीमित बार नवीनीकरण किया जा सकता है, जबकि नियुक्ति नोटरीयों की संख्या कम है ताकि नोटरीयों की संख्या भरमार ना हो जाए। बस!!! यहीं से प्रस्तावित नोटरी (संशोधन) विधेयक 2021 की बात शुरु हुई ऐसा कयास लगाया जा रहा है, जिसमें उन युवा वकीलों को भी नोटरी बनने का मौका मिलना चाहिए जो इसके काबिल हैं, जिससे कुशलता बढ़ाने में मदद मिले और वह ज्यादा कारगर तरीके से कानूनी सहायता दे सकें। साथियों बात अगर हम प्रस्तावित नोटरी (संशोधन) अधिनियम 2021 ही करें तो इनमें नोटरी का कार्यकाल सीमित करके केवल 15 वर्ष तक कर दिया गया है। इस विधेयक के संबंध में 15 दिसंबर 2021 तक टिप्पणी, विचार विधि मंत्रालय द्वारा आमंत्रित हैं। साथियों विधि एवं न्याय मंत्रालय की विज्ञप्ति पीआईबी के अनुसार, नोटरी अधिनियम, 1952 और नियमों के मौजूदा प्रावधानों के तहत, नोटरियों के काम करने के प्रमाणपत्र के नवीनीकरण की कोई बाध्यता नहीं थी। एक बार नोटरी नियुक्त हो जाने के बाद उनका नवीनीकरण असीमित बार किया जा सकता था। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त नोटरियों की संख्या तय होती है, जैसा कि नोटरी नियमावली, 1956 की अनुसूची में दिया गया है।इसके अलावा, इन नोटरियों को एक खास क्षेत्र में नियुक्त किया जाता है, जिसके तहत यह ध्यान में रखा जाता है कि उस विशेष स्थान पर नोटरियों की क्या व्यापारिक आवश्यकता और जरूरत है। ऐसा इसलिये किया जाता है, ताकि नोटरियों की भरमार न हो जाये उपरोक्त को ध्यान में रखते हुये, यह प्रस्ताव किया गया है कि नोटरियों का कुल कार्यकाल पंद्रह वर्ष तक सीमित कर दिया जाये।पहली नियुक्ति पांच वर्षों के लिये और नवीनीकारण पांच-पांच वर्षों के लिये दो बार किया जाये। इस तरह असीमित नवीनीकरण को खत्म करने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि युवा वकीलों को नोटरी के रूप में काम करने का मौका मिल सके। इस प्रस्ताव के जरिये नोटरी पब्लिक का काम करने वाले वकीलों का बेहतर विकास होगा और काम नियबद्ध तरीके से होगा। इसके जरिये वकालत के पेशे की जरूरतें भी पूरी होंगी। ऐसा महसूस किया जा रहा था कि उन युवा वकीलों को भी यह अवसर दिया जाना चाहिये, जो नोटरी पब्लिक बनना चाहते हैं, ताकि उन्हें अपनी पेशेवराना कुशलता बढ़ाने में मदद मिले और वे ज्यादा कारगर तरीके से कानूनी सहायता दे सकें। नोटरियों के हितों की रक्षा करने और नोटरियों कीकिसी भी प्रकार की कमी से बचने के लिये, प्रस्ताव किया गया है कि तीसरे या उससे अधिक कार्यकाल के प्रमाणपत्र के नवीनीकारण के जो आवेदन मिले हों तथा जिनकी वैधानिकता नोटरी (संशोधन) अधिनियम, 2021 के लागू होने के पहले समाप्त हो रही हो, उन आवेदनों पर विचार किया जायेगा। इसके अलावा, नोटरी (संशोधन) अधिनियम, 2021 के लागू होने के पहले जिन नोटरियों के प्रमाणपत्रों का नवीनीकरण होकर उन्हें जारी किया जा चुका है, वे भी उस नवीनीकरण के समाप्त होने की तारीख तक वैध माने जायेंगे। यह जरूरत भी महसूस की गई कि डिजिटलीकरण की शुरुआत हो जाने पर नोटरी पब्लिक के दस्तावेजों का भी डिजिटलीकरण किया जाये और उन्हें डिजिटल स्वरूप में सुरक्षित किया जाये, जैसा कि नियमों में दिया गया हो। इसका मकसद यही है कि नोटरी कार्रवाई के दौरान कदाचार को रोका जा सके और आम जनता के हितों की रक्षा हो सके। उपरोक्त उद्देश्य के लिये, नोटरियों के कार्यों के डिजिटलीकरण का प्रस्ताव किया गया है। नोटरी अधिनियम, 1952 की धारा 10 के तहत सक्षम सरकार को यह अधिकार है कि वह नोटरी रजिस्टर से नोटरी पब्लिक का नाम हटा सकती है। यह कदम उस समय उठाया जा सकता है, जब नोटरी के ऊपर निर्धारित मानकों के तहत जांच चल रही हो, उसे अपने पेशे के साथ कदाचार का दोषी पाया गया हो या सरकार की दृष्टि में वह गलत आचरण का दोषी हो। इन मामलों में सरकार अगर उसे नोटरी के रूप में काम करने के अयोग्य मान लेगी, तो उसे हटाया जा सकताहै।बहरहाल नोटरी अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत उस नोटरी का प्रमाणपत्र निलंबित किया जा सके, जिसके खिलाफ शिकायत मिली हो या जांच अधूरी हो। परिणामस्वरूप, कुछ मामलों में, प्रथम दृष्टया कदाचार का मामला बनने पर भी, नोटरी जांच चलने के दौरान अपने काम पर बना रहता है। इसलिये नोटरी अधिनियम, 1952 में यह प्रावधान करने का प्रस्ताव है, जिसके तहत सक्षम सरकार उस नोटरी पब्लिक का प्रमाणपत्र निलंबित कर सकती है, जिसके खिलाफ कदाचार की शिकायत मिली हो। सरकार जांच चलने की अवधि तक कार्रवाई कर सकती है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि प्रस्तावित नोटरी (संशोधन) विधेयक 2021 में कार्यकाल 15 वर्षों तक सीमित कर दिया गया है तथा 15 दिसंबर तक हितधारकों के विचार विधि मंत्रालय द्वारा आमंत्रित हैं जिसमें युवा वकीलों को अवसर के लिए नोटरी की विस्तारित सीमां को निर्धारण सक्षम सरकार का दायरा बढ़ाने और दस्तावेजों का डिजिटलीकरण इत्यादि संशोधन प्रस्तावित है।

— एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी 

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया