लघुकथा

सोच अपनी-अपनी

दो व्यक्ति प्रातःकाल सैर कर रहे थे.
दो व्यक्तियों के साथ श्वान भी सैर कर रहे थे.
एक व्यक्ति के श्वान ने भौं-भौं की, दूसरे व्यक्ति के श्वान ने भी.
सैर कर रहे व्यक्तियों में से एक ने कहा, ”देखा श्वान श्वान को सह नहीं पा रहा!” पहले की सोच मुखर थी.
”एक-दूसरे का अभिवादन करने का इससे श्रेष्ठ तरीका इनके पास और कौन-सा है!” दूसरे की सोच थी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244