कविता

परिवर्तन

‌ स्थितियों से सामंजस्य
बैठाना बहुत जरूरी
नापतोल के कदम
उठाना बहुत जरूरी
अपनी-अपनी जिद पर ही
यदि सब अड़े रहे तो
‌ छूट जाएंगे पीछे
यह सीखना बहुत जरूरी ।।

दोस्त यार हों
मित्रता हो, या हो रिश्तेदारी
समय के साथ बहुत कुछ
बदल जाता ही है
परिस्थितियों में बदलाव
बहुत ही स्वाभाविक है
चाहो या न चाहो
‌ परिवर्तन होता ही है ।।

सुख और दुःख जीवन के
दो अभिन्न पहलू हैं
दोनों के मिश्रण में ही
है आनंद समाया
एक के बिना है दूजे का
अस्तित्व अधूरा
जो समझ सके तो
जीने का असली आनंद पाया ।।

परिवर्तन प्रकृति का नियम है
स्वीकार करना ही होगा
समाज में हो, या सम्बन्धों में
इकरार करना ही होगा
उसूलों पर डटे रहकर भी
कर्तव्य वहन कर सकते हैं
थोड़ा लचीलापन अपनाकर
जीवन में रंग भर सकते हैं ।।

परिवर्तन तो ठीक है लेकिन अंधानुकरण नहीं करेंगे
अपनी सभ्यता का यश गान
करके गर्व महसूस करेंगे
कितना भी बदलें लेकिन
सिद्धांतों पर कायम रहेंगे
‌ अपनी संस्कृति और संस्कार से
समझौता नहि कभी करेंगे ।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई