लघुकथा

मेरा दिल दीवाना

आज 31 दिसम्बर की रात यानि कल से नव बर्ष की शुरुआत । ठंड पूरी तरह से अपने शबाब पर थी ।  चारों ओर नव वर्ष के कार्यक्रमों की धूम थी । आज मिलिट्री एरिया पूरी तरह सजा हुआ था । सब सेना के अधिकारी ,वायु सेना के अधिकारी व उनके परिवारों का का आना क्लब में शुरू हो चुका था ।
       कैप्टन राहुल और उनकी पत्नी रूमा तैयार हो गयी थी । राहुल की इकलौती लाडली बहन रिदम बहुत ही सुन्दर थी जितनी सुन्दर थी उतनी ही हर कार्य मे होशियार उसके नृत्य की पूरे कैम्पस में तारीफ होती थी ।  जब रूमा उसके कमरे में पहुँची तब देखा रिदम चुपचाप बैठी थी । रूमा ने कहा रिदम तुम  तैयार नहीं हुई रिदम बोली भाभी आप जाओ मेरा मन नहीं है। राहुल ने  अन्दर आकर कहा नहीं तुम नहीं जाओगी तो हम भी नहीं जायेगे । रिदम ने कहा भैया आपके क्लब का प्रोग्राम है आप और भाभी को तो जाना आवश्यक है । रूमा बोली तुम नहीं तो हम भी नहीं । रिदम बेमन से तैयार होकर उनके साथ क्लब चली गयी ।
       कार्यक्रम पूरे शबाव पर था । सब अपने अपने परिवार के साथ मस्त थे । रिदम एक कोने में चुपचाप जाकर बैठ गयी और पहुँच गयी पिछले साल के जश्न में । आज के दिन इसी जगह इसी प्रोग्राम में उसका नृत्य चल रहा था । सब मुग्ध होकर देख रहे थे उसकी निगाह बार बार सामने अपने दोस्तों के साथ हंसते हुये पायलट सचिन पर अटक जाती सचिन था ही इतना हैन्डसम । सचिन भी बार बार उसे देख रहा था । जब नृत्य करके वह स्टेट से उतरी अचानक सामने सचिन आगया और गुलाब देकर बोला मै सचिन रिदम एकदम से शर्मा गयी और बोली मै रिदम । सचिन बोला मै तो शर्मीली कहूंगा आप कैप्टन राहुल की बहन हैं ना । रिदम ने कहा हां और दौड़ कर रूमा के पास जाकर बैठ गयी । दूसरे दिन अचानक सचिन घर आगया ‌राहुल ने गर्मजोशी से गले लगा लिया । रिदम जब आई तो उसने सचिन को देखा वह शर्म से नजरे झुकाये आकर बैठ गयी । राहुल के अन्दर जाने पर सचिन ने उसका नं ले लिया । रात में जब सचिन का फोन आया तो उसने कहा हाय शर्मीली कैसी हो । सुनो रिदम कल मै जारहा हूँ जल्दी लौट कर आऊंगा तुम मेरा इन्तजार करोगी रिदम ने कहा हां ।
        सचिन अपनी ड्यूटी पर चला गया कुछ दिन उससे बात होती रही फिर फोन का सिलसिला टूट गया । बहुत फोन लगाया पर स्विच आफ की ही पता चलती । वह पूछे भी तो किससे । कुछ दिन बाद राहुल को कहते सुना कि एक हवाई जहाज सेना का लापता है और उसका पायलट सचिन है।
       आज तक सचिन का पता नहीं था । अचानक स्टेज  एनाउन्स हुआ सभी लोग दिल थाम कर सुनें हमारा हीरो सचिन लौट आया है। सब खुशी से चहक उठे । रिदम का तो खुशी से चेहरा ही चमक गया । तभी उसे गाना सुनाई दिया ” तुम कहां मै कहां इस नशीली रात में जाने ना मेरा दिल दीवाना ” । पीछे से आकर किसी ने उसको बाहों में थाम कर कहा हाय मेरी शर्मीली और रिदम उसकी बाहों में सिमट गयी
— डा. मधु आंधीवाल

डॉ. मधु आंधीवाल

पति - डा. सी.के. आंधीवाल जन्म तिथि- 3-1-1957 पता - 1/64 ,सुरेन्द्र नगर ,अलीगढ़ राजनीति भाजपा पार्टी 3 बार नगर निगम अलीगढ़ की पार्षद रही हूँ । सक्रिय राजनीति में हूँ । शिक्षा - एम.ए, बी.एड, एल.एल.बी, पी- एच डी साहित्यिक फेसबुक ग्रुपों में रचनाये, मोमस्प्रेसो में ब्लॉग , शीरोज एप पर रचनाये,हिन्दी प्रतिलिपि एप पर रचनाएँ ,दैनिक जागरण और स्वदेश समाचार पत्र ,प्रवासी संदेश बोम्बे, द ग्राम टुडे अन्य समाचार पत्रों में पत्र और रचनाएँ ,स्टोरी मिरर एप पर रचनाये लिखती हूँ और बहुत प्रशस्ति पत्र मिले हैं।दो काव्य संग्रहों में भी मेरी कविताओं का संग्रह प्रकाशित हुआ है। madhuandhiwal53@gmail.com 9837382780