कविता

अकेले हम अकेले तुम

हमारे अपने विचार हैं
हमारी अपनी सोच है,
पर सच यही है कि
न हमारा कोई है
न हम किसी के हैंं।
हम कल भी अकेले थे
आज भी अकेले हैं,
कुछ ऐसा ही तुम्हारे साथ है
बस रिश्तों के झमेले हैं।
फिर भी हम हों या तुम
अकेले थे अकेले ही रहे हैं
अकेले ही रहेंगे जीवन भर
सिर्फ़ अकेले और अकेले
न तुम हमारे हो सकोगे
न हम कभी होंगे तुम्हारे।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921