कविता

दोस्तों के नाम की शाम

आइए!कुछ करते नहीं तो
बस इतना करते हैं,
एक शाम दोस्तों के नाम करते हैं,
मौज मस्ती के बजाय
कुछ अलग करते हैं,
सारे दोस्त मिलकर अभियान चलाते हैं।
नगर में असहायों के लिए
कुछ काम करते हैं,
दोस्ती की शाम को यादगार करते  हैं,
भलाई और मानवता के
कुछ काम करते हैं
एक नई मिसाल बनाते हैं।
गैरजिम्मेदार नहीं हैं हम सब
ये सबको दिखाते हैं।
सबसे अहम तो यह है कि
मानव हैं तो मानवता के लिए
कुछ काम भी करते हैं,
दोस्तों के नाम की शाम को
हम सब यादगार बनाते हैं।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921