गज़ल
टूटा दिल और रूह बेज़ार यही बचा है मेरे पास
कुछ यादें घायल, बीमार यही बचा है मेरे पास
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खुशियाँ तेरे साथ गईं अब थोड़ी आहें थोड़े गम
आँखों में आँसू की धार यही बचा है मेरे पास
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बह गया मेरे सपनों का घर हालातों की बारिश में
ये गिरती हुई दीवारें चार यही बचा है मेरे पास
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फटे पुराने खत कुछ हैं कुछ सूखे फूल किताबों में
जिनमें बसा था मेरा प्यार यही बचा है मेरे पास
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क्यों ताने कसते हो मेरी मुफलिसी और तनहाई पे
तुम्हें कहा है कितनी बार यही बचा है मेरे पास
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।