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जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स- 8

हमने आपसे कहा था, कि आप जितेंद्र भाई से कोई सवाल पूछना चाहें, तो पूछ सकते हैं. सुदर्शन भाई ने जितेंद्र भाई से एक सवाल पूछा था-

एक सवाल जितेंद्र भाई से – हिंदी में आप जितेंद्र कबीर लिखते हैं और अंग्रेजी में जितेन्दर कबीर ?
मैं सिर्फ हिंदी में ही लिखता हूं, अंग्रेजी में yourquote app पर खुद ब खुद आ जाता है।

”yourquote app के बारे में विस्तार से बताएं.” हमने पूछा था.
“इस एप के माध्यम से हम अपनी रचनाओं को सुंदर लिखाई और मनभावन पोस्टर्स से सजा सकते हैं।गूगल प्ले स्टोर में यह एप मुफ्त में उपलब्ध है।” जितेंद्र भाई का जवाब था.

“yourquote app की और कुछ विशेषताएं!” हमारा प्रश्न था.
“इतने विस्तार से तो इस एप के डिवेल्पर ही बता सकते हैं। मैं तो इसका इस्तेमाल अपने मुक्तकों को थोड़ा आकर्षक बनाने के लिए करता हूं।” जितना आवश्यक हो उतनी बात करने-लिखने के समर्थक व अनुपालक जितेंद्र भाई ने अपने स्टाइल में जवाब दिया.

 

जितेन्द्र ‘कबीर’ की दो समसामयिक और कालजयी कविताएं–

समसामयिक इसलिए कि इन दिनों यूक्रेन-रूस युद्ध चल रहा है और कालजयी इसलिए कि इसमें किसी समय या देश विशेष का नाम नहीं है. चुप्पी की कीमत और मौत के व्यापारी जितेंद्र कबीर की ऐसी ही समसामयिक और कालजयी कविताएं हैं

1. चुप्पी की कीमत

अगर तुम्हारा कोई पड़ोसी
कुछ हथियारों और गुण्डों के बल पर
धावा बोल दे
तुम्हारे घर पर कब्जे के लिए,
तो तुम लड़ोगे उससे
अपने घर अथवा परिवार की रक्षा के लिए
या फिर स्वीकार कर लोगे
कायरता दिखाते हुए उसकी गुलामी?

लड़ने का तुम्हारा निर्णय
तुम्हें खड़ा करता है
अपनी मातृभूमि एवं परिवार
की रक्षा के लिए
प्राणों की आहुति देते
हर उस इंसान के साथ जिसके ऊपर
युद्ध थोप दिया गया है
जमीन और संसाधनों के लालच में
कोई न कोई बहाना बनाकर,

लेकिन अगर तुम ताकतवर के आगे
करते हो झुकने का निर्णय
तो थोप दोगे तुम गुलामी न केवल
खुद के ऊपर
बल्कि अपनी भावी पीढ़ियों पर भी,

दोनों में से कोई भी हो
तुम्हारा निर्णय
लेकिन एक बात याद रखना
किसी भी आक्रमणकारी के पक्ष में
हमारी चुप्पी
उसका हौसला ही बढ़ाती है
और उस चुप्पी की कीमत
इंसानियत अपने खून से चुकाती है।
जितेन्द्र ‘कबीर’

 

2. मौत के व्यापारी
नशे के व्यापार से
फायदा उठाने वाले लोग
जब तक मौजूद हैं इस दुनिया में,
नशामुक्त समाज के आह्वान
और दावे बेमानी ही रहेंगे,
घुसपैठ गहरी है हमारे तंत्र में
जहर बेचने वाले व्यापारियों की,
रोका न गया इन्हें तो
पीढ़ियों की पीढ़ियां यह तबाह करेंगे।
हथियारों के व्यापार से
फायदा उठाने वाले लोग
जब तक मौजूद हैं इस दुनिया में,
युद्ध-मुक्त समाज बनाने के आह्वान
और दावे बेमानी ही रहेंगे,
ये मौत के व्यापारी
ढूंढ लेंगे कोई न कोई बहाना
लोगों को आपस में लड़ाने का,
खामियाजा जिसका
बहुत से निर्दोष लोग भुगतेंगे।
जितेन्द्र ‘कबीर’

जितेंद्र भाई के बारे में आज बस इतना ही, शेष आपके-हमारे द्वारा कामेंट्स में.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244