लघुकथा

कथनी और करनी

आजकल लोगों की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। यदि लोग अपनी कथनी के अनुसार कार्य करते, तो यह दुनिया कब की बदल चुकी होती। आजकल वाट्सएप का जमाना है। मेरी पड़ोसन श्रीमती चतुर्वेदी दिन भर वाट्सएप चलाती रहती है और अच्छे-अच्छे मैसेजेस भी डाला करती है। अक्सर मैसेजेस डालती रहती है कि हमें गरीबों पर दया करनी चाहिए। भूखे को भोजन देना चाहिए। कभी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए । उसके इन मैसेजेस से लगता है कि वह बहुत ही दयालु प्रवृत्ति की महिला है।

      एक दिन की बात है। श्रीमती चतुर्वेदी के घर एक भिखारी आया। वह बहुत ही दीन-हीन दिख रहा था। उसके कपड़े फटे हुए थे। मैं अपने घर की खिड़की से देख रही थी; और सोच रही थी कि श्रीमती चतुर्वेदी जरूर उस भिखारी को कुछ न कुछ देगी। थोड़ी देर बाद वह घर से निकली। भिखारी को देखते ही उसका दिमाग खराब हो गया। उसने चिल्लाकर उस भिखारी को भगा दिया। फिर फर्श पर पानी डालते हुए श्रीमती चतुर्वेदी खूब बड़बड़ाने लगी- “कहांँ-कहांँ से; कैसे-कैसे लोग आ जाते हैं, पता नहीं। कमाना-धमाना हैं नहीं, और भीख मांँगते रहते हैं।”

मैं यह सब देखकर भौचक्की रह गयी; और उसके वाट्सएप के मैसेजेस को देखने लगी। अब उन मैसेजेस को मुझे डिलीट् करना उचित लगा।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ [email protected]