मुक्तक/दोहा

हमने भी सीखा-15

 

मुक्तक

उन्नति की राह चलना अच्छा,
पर्यावरण की सुरक्षा भी लगती भली,
चलो वृक्ष लगाएं, जीवदया भाव अपनाएं,
धरा पर हो हरियाली मखमली.

खिलते फूल, चहकते पंछी, महकती रहे मही,
प्रकृति की यह खूबसूरती, बनी रहे तो सही!

जीतने का जुनून तो था
पर
हारना हमारी फितरत थी
तुम्हें जिताने का जुनून भी तो था!

मुंह फेर क्यों लिया, कुछ कहो, कुछ सुनो,
सुहाना-रसीला समां है, यों ही रीत न जाए कहीं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244