कविता

रामजी के बिना

यह हमें सोचना है कि
अब तक क्या, कैसे हुआ ?
पर विचारणीय यह भी है कि
राम जी के बिना कोई काम कब हुआ?
कण कण में बसे राम
अखिल ब्रह्मांड में हैं राम
कौशल्या की गोद में राम
कैकेयी के वनवासी राम
सीता स्वयंवर में राम
असुरों राक्षसों से मुक्त कराते
लक्ष्मण जी के प्राण बचाए
हनुमान को गले लगाए राम
रावण को मारकर तारे राम।
सुग्रीव, विभीषण को राज दिलाया
अहिल्या शबरी के उद्धारक राम,
प्रजा की खातिर सीता जी को
वन भिजवाए लक्ष्मण से राम,
लवकुश से युद्ध न जीते राम
रामकथा सुन रोये राम।
मर्यादा का पालन करते
पितृ आज्ञाकारी राम
भरत, शत्रुघ्न,लक्ष्मण जी को
मन में अपने धारे राम,
कैकेई सुमित्रा के दुलारे राम
जन जन के प्यारे राम।
राज अयोध्या सौंप हनुमत को
अपने नाम सिधारे राम।
करते रहते हम सब काम
लेते श्रेय अपने ही नाम,
पर समझ नहीं पाते हैं हम
राम जी के बिना हुआ है
क्या कोई भी अपना काम?
राम कृपा से इस जग का
बस चलता है सारा काम
बोला भक्तों जय श्री राम, जय श्री राम।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921