कविता

आज भी मेरे देश में

मेरे देश में
आज भी
अलसुबह माताएं-बहिनें
हाथ में पूजा की थाली लेकर
श्रद्धा से देवस्थली को जाती हैं,
आज भी
माताएं कार्तिक नहान करके
अपनी संस्कृति से बच्चों को
अवगत कराती हैं,
आज भी
बच्चे माता-पिता और बुजुर्गों के
पांव छूकर आशीर्वाद पाते हैं,
आज भी
रास्ते में मिलने पर नमस्कार और
प्रणाम का अलख जगाते हैं,
आज भी
भाई-बहन के अटूट प्रेम-स्नेह के
मन से नाते निभाए जाते हैं,
आज भी
भाई भाई के लिए कुर्बानी देने को
तैयार रहते देखे जाते हैं,
आज भी
निर्मल आनंद की परम पावन सरिता
बहती देखी जा सकती है,
आज भी
लोग ईमानदारी की
अनूठी मिसाल बनते हैं,
आज भी
सचमुच महान लोगों का
चमकता-महकता औरा
दूर से ही दिखाई दे जाता है,
बस देखने का नजरिया चाहिए
तो ऐसे अनेक नजारे दिख जाएंगे
आज भी मेरे देश में.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244