मुक्तक/दोहा

हमने भी सीखा- 21

मन में तीव्र उत्कंठा हो
तो संभव हो सकता है सब कुछ

बिना उत्सुकता के कैसे हो सकता
रिश्तों का ऊंचा मुकाम!

हर शब्द का अपना अंदाज होता है
हर शब्द में छिपा कोई अनकहा राज होता है
ज़ुबां कुछ कहे-न-कहे
अक्सर आशीर्वाद बिना आवाज होता है.

अपने मन को असीम बनाओ,
कह रहा है आसमां,
पर्वत भी मिलने आएंगे,
कह रहा है आसमां,
समुद्र में भी अक्स दिखेगा,
कह रहा है आसमां,
हर जगह खुद को पाओगे,
कह रहा है आसमां.

मेरी नजर मिलन की मधुरता पर है
तुम्हारी लक्ष्मणरेखा पर
पूर्व और पश्चिम का मेल
होता नहीं आता नजर.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244