कविता

मजदूर दिवस

आज एक मई मजदूर दिवस है।
आज बड़े बड़े खोखले वादे होंगे
मजदूरों के ज़ख्मों पर नमक छिड़के जायेंगे
मजदूरों के मजदूर होने
और मजबूरियां ही उनकी नियत का
अहसास कराये जायेंगे।
कल से फिर मजदूरों के जज़्बातों
उनके दुःख दर्द, परेशानियां
किसी को नजर नहीं आयेंगे
मजदूर एक बार फिर
वादों की गठरी में बंध जायेंगे।
क्योंकि यही उनकी नियति है
औरों के लिए मर मरकर
दो जून रोटी का जुगाड़ करने वाले मजदूर
सिर्फ असहाय बने रह जायेंगे,
इस साल मजदूर दिवस पर मिले लालीपाप से
अगले मजदूर दिवस तक
उम्मीदों की आस से काम चलायेंगे
मजदूर हैं मजदूर ही रह जायेंगे
मजदूर बने रहकर ही
दुनिया छोड़ जायेंगे,
और हम बड़ी शान से हर साल
मजदूर दिवस मनायेंगे
क्योंकि मजदूरों की फेहरिस्त में
नये नाम जो जुड़ जायेंगे।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921