कविता

परिस्थितियां

जीवन है तो
परिस्थितियों से दो चार होना ही पड़ता है,
अनुकूल हो या प्रतिकूल
हमें सहना ही पड़ता है।
बहुत खुश होकर भी
अनुकूल परिस्थितियां भी
सदा बगलगीर नहीं रहेंगी,
प्रतिकूल परिस्थितियां में सदा
डेरा जमा कर नहीं बैठी रहेंगी।
इसलिए विपरीत परिस्थितियों में भी
धैर्य बनाए रखिए,
लड़िए और हौसला रख सामना कीजिए,
सच मानिए! आपका हौसला ही
विपरीत परिस्थितियों से निजात दिलाएगा
कितनी भी हों कठिन परिस्थितियां
आखिर दूर चली ही जायेंगी।
बस !आप परिस्थितियों के गुलाम न बन जाइए
विपरीत परिस्थितियों का हंसकर स्वागत कीजिए।
समय का चक्र जब ठहरता नहीं है
तब एक जैसी स्थितियों का भला
डेरा कहां जय सकता है।
विपरीत परिस्थितियां भी हमें
कुछ सीख दे जाती हैं,
विपरीत परिस्थितियां ही
अनुकूल परिस्थितियों का
संकेत दे ही जाती हैं।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921