लघुकथा

मकड़ी

टूड्डू अपने खिलौनों से खेल रहा था ।
खिलौना टूट कर उसके हाथ में चुभ गया , खून देखते ही दहाड़ें मार कर रोने लगा ।
वह दौड़कर पोते को उठा ली ,बहू बेटे को उनकी गोद से छीन कर प्यार की बरसात करने लगी ।
दिल में एक कसक सी उठी , काश वह अपना सबसे प्यारा खिलौना अपनी बहू को नहीं देती , तो सचमुच कभी कभी दिल बहल जाता ।
एक वह समय था , जब राज हमेशा अपने दिल की बात उससे कहता था और वह उसे बिल्कुल मासूम नन्हा बालक जानकर बलैयां लेती हुई अपने ममता के आँचल से ढंक कर कहती “मेरा राजा बेटा तू तो इस बूढ़ी माँ का खिलौना है ,तेरी खुशियों से मेरा दिल बहल जाता है ।”
वह भी कहता “माँ आपके सिवा मेरी खुशियों में खुश होने वाला कोई और है क्या ?”
बहू टूड्डू के चेहरे को आँचल से साफ करते हुए प्यार कर रही थी ।
“ओओओ …मेरा सोना मेरा राजा बेटा उदास मत हो , तुम से प्यारा तो कोई खिलौना बाजार में नहीं है ।
अभी पापा आयेंगे एक नये खिलौने लेकर ऐसे सैकड़ों खिलौने तुझ पर कुर्बान ।”
सुगंधा भी पीछे पीछे आ गई बोली “काश ; आज मेरे खिलौने की पीड़ा भी बहू तुम समझ पाती तो यूँ ओवरटाइम करते हुए रात के बारह बजे तक घर से बाहर उसे नहीं रहना पड़ता ।”
“पता नहीं आप कैसी माँ हैं ! लोग कहते हैं मूल से ज्यादा सूद दादी नानी को प्यारा होता है , मगर आप तो बिल्कुल अलग हैं !!
इतने ही लाडले थे राज तो क्यों नहीं उन्हें घर बैठा कर प्यार करती हैं?”
“हाँ बहू सही कह रही हो संतुलन और संतुष्टि का पाठ मैं ही पढ़ना भूल गई। जाओ मुन्ने को चूप करा कर उसे कुछ खिला दो।”
“हाहाहा…ये दादीमाँ भी ना बस खाना खिला कर ही प्यार जता सकती हैं।”

बहू की हँसी में सुगंधा की बची खुची मुस्कान भी खो गई । बिल्कुल मकड़ी के माफिक, अपने ही मायाजाल में उलझ कर दम घुट रहा था ।
— आरती रॉय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com