स्वास्थ्य

सरकार, पर्यटन स्थलों को मेडिकल टूरिज्म में परिणत करें

इन्दौर, 22 मई, पर्यावरण कार्यकर्ता, लेखक और मेडिकल कॉलेज, इन्दौर के सेवानिवृत्त सह प्राध्यापक डॉ. मनोहर भण्डारी ने केन्द्र सरकार के नीति आयोग, वन मंत्रालय, आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय से निवेदन किया है कि “स्वराज के अमृत महोत्सव” वर्ष पर अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के दिन वन और वृक्ष संरक्षण तथा मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने हेतु प्राकृतिक पर्यटक स्थलों पर वन चिकित्सा केन्द्र स्थापित करने की घोषणा करने का अनुग्रह करें I ऋग्वेद, अथर्ववेद तथा आयुर्वेद में जिस “वायु चिकित्सा” का उल्लेख मिलता है, वही जापान की शिनरिन-योकू (वन स्नान) और अमेरिका की फारेस्ट थेरेपी है I सदियों से आयुर्वेदाचार्य और परिवार के बुजूर्ग हवा पलटे के लिए प्राकृतिक स्थलों पर जाने की सलाह वायु चिकित्सा अथवा वन स्नान के तहत ही देते रहे हैं I
डॉ. भण्डारी ने बताया कि अस्सी के दशक में जापान में वन स्नान (वन विहार) के स्वास्थ्यगत लाभों पर शोध हुए हैं I इसके अतिरिक्त अमेरिका में हुए शोध अध्ययनों से वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि पेड़ों और जंगलों की निकटता से रोग प्रतिरोधी शक्ति बढ़ती है, तनाव कम होता है, रक्तचाप सामान्य हो जाता है, मूड अच्छा हो जाता है, एकाग्रता बढ़ जाती है, शल्य चिकित्सा से रिकवरी बढ़ जाती है, ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है, निद्रा सुखद हो जाती है I मनुष्य के शरीर में सकारात्मक रसायनों, यथा ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे फील-गुड हार्मोन के स्तर में वृद्धि होने से तन और मन तथा भावनात्मक रूप से सुखद प्रभाव उत्पन्न होते हैं I घने वृक्षों से घिरे जंगलों में भ्रमण करना ही वन स्नान है I वहां ध्यान करना, वृक्षों के सामीप्य में बैठना, वन-पक्षियों और वृक्षों के पत्तों-टहनियों के कलरव-ध्वनि को सुनना और वहां स्थित नदी-झरनों को निहारना और बहते जल की ध्वनि को सुनना आदि वन स्नान में समाहित हैं I वर्तमान में भारत में भी पाश्चात्य देशों की तर्ज पर साइकोसोमेटिक रोगों का प्रकोप बढ़ा है, ऐसे में वन चिकित्सा केन्द्रों की प्रासंगिकता तर्कसंगत है I
परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. मैन्हेम मूर्ति ने स्वयं द्वारा आविष्कृत युनिवर्सल स्कैनर का उपयोग कर विभिन्न वृक्षों के आभामण्डलों का परिमापन किया और बताया है कि भारतीय संस्कृति में पूजित वृक्षों का आभामण्डल अधिक होता है और उस ऊर्जा क्षेत्र अपने समीप आने पर वृक्ष व्यक्तियों की नकारात्मकता का हरण करते हैं I
वटवृक्ष, तुलसी, पीपल, आंवला, केला, आम, नीम, आंकड़े आदि वृक्षों की तिथि विशेष पर पूजा, परिक्रमा आदि की पृष्ठभूमि में वन स्नान ही है I देवदार के वृक्षों से निकलने वाले रसायनों (फाइटोनसाइड्स) से होने वाले लाभों पर भी अध्ययन हुए हैं और इसी के चलते वन विभाग के तहत रानीखेत, उत्तराखण्ड में 13 एकड़ का वन चिकित्सा केन्द्र स्थापित किया गया है I अमेरिका में वन चिकित्सा के गाइड के रूप में हजारों की संख्या में प्रशिक्षित व्यक्ति हैं I डॉ. भण्डारी ने केन्द्र सरकार से निवेदन किया है कि देश के सभी प्राकृतिक पर्यटन स्थलों पर अधिकाधिक वन स्नान केन्द्र स्थापित किए जाएं, जहां वन स्नान के अतिरिक्त अथर्ववेद और आयुर्वेदवर्णित बिना औषधि की आश्वासन चिकित्सा, मन्त्र चिकित्सा, स्पर्श चिकित्सा, सूर्य किरण चिकित्सा, आस्था चिकित्सा, संगीत चिकित्सा, योग-प्राणायाम चिकित्सा, अग्निहोत्र चिकित्सा, अभ्यंग चिकित्सा और अवचेतन मन की शक्ति से उपचार किए जाना चाहिए I इन चिकित्सा केन्द्रों के व्यापक प्रचार-प्रसार से मेडिकल पर्यटन के तहत न केवल देशी बल्कि विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि सम्भव है I हमें भारतीय ज्ञान-विज्ञान परम्परा को विदेशी मुद्रा भण्डार में परिणत करना होगा ताकि वैश्विक स्तर पर भारत की परम्पराओं को वैज्ञानिक धरोहर के रूप में प्रतिष्ठा मिल सकें I
पर्यावरण संरक्षण और चेन्नई की गम्भीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए भूजल भण्डारण हेतु कुछ सुझाव
• पूरे देश में होने वाले प्रत्येक नवनिर्माण (रहवासी, अथवा व्यावसायिक, व्यक्तिगत अथवा शासकीय) में वर्षा जल संग्रहण अनिवार्य किया जाए I
• पहले से बने घरों, भवनों में शासन-प्रशासन वर्षा जल संग्रहण हेतु कोई ऐसी प्रक्रिया का आविष्कार करें, जिससे कम खर्च और कम तोड़फोड़ में वर्षाजल संग्रहण का कार्य सम्भव हो सकें I
• देश के सभी नगरों, कस्बों, गांवों के सभी उद्यानों में कम से कम चार बड़े-बड़े सोकपिट्स का निर्माण अनिवार्य रूप से किया जाए, बड़े उद्यानों में अधिक संख्या में सोकपिट्स का निर्माण किया जाना उचित रहेगा I
• ऐसे उद्यान जिनका क्षेत्रफल अधिक हो, वहां चारों ओर देसी और बड़े वृक्ष (गूलर, पीपल, बरगद, नीम, अर्जुन आदि) साथ ही अनिवार्य रूप से आम, जामुन, कटहल, अमरुद, सीताफल जैसे फलदार वृक्ष भी लगाएं जाएं, कोई भी खाएगा तो सुपोषण ही तो होगा, पक्षी खाएंगे तो वे अन्यत्र पौधरोपण करते रहेंगे I पक्षियों को घर बनाने के लिए निरापद स्थान देने का कार्य भी सहजीवन के तहत हमारा ही है I
• बड़े वृक्षों के रोपण के पूर्व दस फीट का गड्ढा पाइल से खुदवाना चाहिए और फिर बोल्डर, रेती आदि से भराव कर ऊपर के दो फीट में खाद-मिट्टी डाल कर पौधा लगाया जाए ताकि उनकी जड़ें भविष्य में सदा के लिए रिचार्जिंग पाइप की तरह भूजल भण्डारण का कार्य कर सकें I यह अनुभूत प्रयोग है I
• एक निवेदन है कि ऐसे बगीचों की फेंसिंग अथवा बाउण्ड्री वाल के बाहर बड़े पेड़ रोपे जाना चाहिए, जहां सड़कें अत्यधिक चौड़ी हों I ऐसी स्थिति में बड़े पेड़ों का रोपण दोनों तरफ करने से हवा भी स्वच्छ होगी, छाया मिलने से नागरिकों को भी राहत मिलेगी, इसके अतिरिक्त छाया और शीतल हवा मन को भी सकारात्मक करने में सक्षम होती है I साथ ही विभिन्न प्रकार के पक्षियों का कलरव बच्चें नित्य सुन सकेंगे I
• जहां भी वाटर सप्लाई के हाइड्रेन्ट हैं अथवा हैण्ड पंप हैं, वहां भी सोकपिट बनाए जाएं I कुँओं के पास भी सोकपिट बनाने अनिवार्य होना चाहिए, वहां ढूलने वाला पानी भूजल में परिणत हो सकेगा I
• हर बगीचे में पक्षियों को दाना डालने हेतु कुछ निरापद (कुत्तें-बिल्लियों से रक्षा की दृष्टि से) रचना की जाए ताकि सहजीवन हेतु नागरिक अपने बच्चों में दाना-पानी देने हेतु संस्कार डाल सकें I
• राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य लम्बे मार्गों के दोनों तरफ आधा-आधा किलोमीटर पर दोनों तरफ बड़े-बड़े सोकपिट बनाएं जाएं, ताकि भूजल भण्डार समृद्ध हो सकें और सड़कों के किनारे के खेतों की भूमि नमी बनी रहे, तथा रहवासियों के बोरिंग भी सदैव जल देते रहेंगे I
• शहरों को जोड़ने वाले मार्गों के दोनों तरफ राजा-महाराजाओं की परम्पराओं का अनुसरण करते हुए फलदार वृक्षों के बड़े रोपों का रोपण करना चाहिए, ताकि वे गर्म हवाओं को तनिक ठण्डा करने में सक्षम हो सकें I
• सभी स्कूल, कॉलेजों, पंचायतों में अधिकाधिक देसी, बड़े और दीर्घायु वृक्षों का रोपण किया जाना अनिवार्य किया जाए, अध्ययन कहते हैं कि वृक्षों के सानिध्य से क्रोध, अवसाद, निराशा का शमन होता है, जो कि विद्यार्थियों के लिए आवश्यक भी है I
• समस्त शौकिया अथवा निवेश हेतु क्रय किए गए फार्म हाउसेस में उनके आकार के अनुपात में निश्चित संख्या में देसी वृक्षों का रोपण करना अनिवार्य किया जाए I यदि हमें खेती की धरती को सीमेंट-कांक्रीट के आत्मघाती आघातों से बचाना है तो घरों-फ्लैटों-फार्म हाउस की रजिस्ट्री को आधारकार्ड, पैन कार्ड और समग्र कार्ड से जोड़ा जाए तथा एक परिवार को दो या तीन से अधिक घरों-फ्लैटों-फार्म हाउस की अनुमति कदापि नहीं दी जाए, इससे मध्यमवर्गीय नागरिकों के लिए अपना स्वयं का घर बनवाना थोड़ा सस्ता हो जाएगा I