बाल कविता
गोलू भोलू है दो भाई
घर आंगन की ये किलकारी
दादाजी को खूब मन भाते
दादी के ये आंख के तारे
साथ साथ स्कूल जाते
आपस में ये कभी न झगड़े
लूका छिपी का करते खेल
फूट बाल है इनके प्रिय खेल
प्यारे प्यारे बच्चे आते
मिलकर खूब खेल जमाते
खेलकुदकर जब थक जाते
दादाजी के बागीचे जाते
वहां सब मीठे फल खातें।
— बिजया लक्ष्मी