गीत/नवगीत

गीत : तुमसे ही हर सांस है मेरी

तुमसे ही हर सांस है मेरी तुमसे ही मेरा हर पल
तुमसे ही मेरा जीवन है तुम ही मेरा आज व कल

तुमने ही महकाया मेरे
उजड़े इस सूनेपन को
तुमने ही आकर छुआ है
मेरे इस अन्तर्मन को

कोई नहीं है सिवा तुम्हारे तुम्हीं मेरा हो आत्मबल
तुमसे ही मेरा जीवन है तुम ही मेरा आज व कल

दुर्गम इस कठिन से पथ पर
मुश्किल होता यूं चलना
तुम्हारे बिना इस जहान में
असंभव था मंजिल मिलना

वीराने से इस जंगल में भटक रही थी मैं अविरल
तुमसे ही मेरा जीवन है तुम ही मेरा आज व कल

रोम – रोम पुलकित है मेरा
तुमसे हुआ यूं अनुबंध
गीतों में तुम ही समाय हो
तुम हो प्यारा – सा इक छंद

तुम ही मेरे हर सवाल का बने हुए हो अद्भुत हल
तुमसे ही मेरा जीवन है तुम ही मेरा आज व कल

— डॉ. सारिका ठाकुर “जागृति”

डॉ. सारिका ठाकुर "जागृति"

ग्वालियर (म.प्र)