कविता

सत्य वचन

सत्य वचन से दुःखी संसार
झुठा का भरा पड़ा है भंडार
कटु सत्य कोई सुन नहीं पाता
झुठा का सब है नकली मतदाता

सत्य कैसे जग में जिन्दा रहे
सत्य पथ में काँटा है  बिछे
कॉटा चुभता राही तब रोता
सत्य वचन चुन कर पछताता

सत्य का ना कोई है जग में मीत
सत्य के लिये ना है कोई    गीत
सत्य खुद नहीं है कभी शर्मिन्दा
जो राही है सिकन्दर है वो बन्दा

सत्य वो पथ है मिले है ठोकर
मंजिल पा कर झुमे है जोकर
चुनना है गर सत्य का  मार्ग
जग में बन जाओगे धर्मराज

सत्य वचन मुख से गर कहना है
जग की कटुता भी सुनना       है
जग में सत्य हाेता है परेशान
विजयी अन्त में होता है वो नाम

सत्य की कर लेना पहचान
सत्य पथ जग में अति महान
सत्य अपनाओ खुशियाँ पाओ
सत्य का जग में परचम लहराओ

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088