लघुकथा

ठेकेदार

विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून के अवसर पर विशेष

ठेकेदार वह कल भी था और आज भी. बस थोड़ा-सा रुख अवश्य बदल गया है. इससे वह प्रसन्न भी था और संतुष्ट भी, पर पिछले ठेके की विचारणीय यादें यदा-कदा आती-सताती ही रहती थीं.
“कुंद्रू, ये काम छोड़ दे बेटा, कई सालों में जाकर एक वृक्ष छायादार बन पाता है और तू पचासों पेड़ एक ही दिन में कटवा देता है.” मां तो कहती ही रहती है, कुंद्रू अनसुनी कर देता.
“मां, ये जो घर बनने, फर्नीचर-दरवाजों में इतनी लकड़ी काम आती है, वह वृक्षों से ही तो मिलती है. अगर वृक्ष नहीं कटेंगे, लकड़ी कहां से मिलेगी?” कभी-कभी वह जवाब देता.
“बेटा, ये पेड़ हमारी धरा की जान हैं, इन्हीं के कारण हम स्वच्छ हवा में सांस ले सकते हैं.” कुंदन चाचा भी समझाते, पर सुनता कौन था!
“इन्हीं पेड़ों के चूरे से बोतलों के कॉर्क, बोर्ड आदि भी बनते हैं.” कहकर वह चल पड़ता.
वैसे उसका दोष भी क्या था! उसको संगति ही ऐसी जो मिली थी. पढ़ाई के बाद 2-3 मित्र इसी काम पर लग गई थे, उसको भी खींच लिया! बाद में भी अक्सर वे उसको ऐसा ही पाठ पढ़ाते थे.
“पर्यावरण के लिए पेड़ अत्यंत आवश्यक हैं. पेड़ जमीन की कटाई को रोकते हैं. वर्षा, ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी पेड़ अत्यावश्यक हैं.” उसने कई बार पढ़ा था, लेकिन मित्रों के पाठ के आगे उसे कहां याद रहता!
पढ़ा-लिखा कुंद्रू वृक्ष काटने-कटवाने से कतई नहीं कतराता था. अचानक एक दिन उसके सामने ही एक वृक्ष से पक्षियों के 10-15 घोंसले गिर गए और पक्षियों का कलरव कोलाहल में परिवर्तित हो गया.
न जाने क्यों उस दिन उसे पक्षियों का रुदन अपने बच्चों के रुदन जैसा लगा, वह उद्विग्न हो गया!
“न जाने कितने वृक्ष काटे और कितने पक्षियों के घोंसले बरबाद किए हैं मैंने!” उसको पश्चाताप हो रहा था.
“अब और नहीं! ठेका अब भी लूंगा, लेकिन वृक्ष लगाने के!” शायद उसके मस्तिष्क की लालटेन रोशन हो गई थी.

“हर दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस”

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “ठेकेदार

  • *लीला तिवानी

    ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ और संगीत. भारत संतों का संगीत का देश है. संगीत, वह भी सुमधुर और सार्थक. 2013 में ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ को आयोजित करने के लिए भारत को चुना गया था. भारत ने ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ को संगीत से सजाया. विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है. इसे मनाने के लिए कवि अभय कुमार ने पृथ्वी (धरती) पर एक गाना लिखा था. इस गाने को 2013 में पेश किया गया था. 5 जून, 2013 में नई दिल्ली में स्थित भारतीय सांस्कृतिक परिषद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. उस समय के तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और शशि थरूर ने इस गाने को पेश किया था.

  • *लीला तिवानी

    विश्व पर्यावरण दिवस के कुछ रोचक तथ्य
    विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की घोषणा 1972 में ही कर दी गई थी।
    घोषणा के 2 साल बाद विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।
    5 जून, 1974 को पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था।
    पहले विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने के लिए अलग-अलग देशों को चुना जाता था।
    विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने के लिए हर साल 143 से ज्यादा देश हिस्सा लेते हैं।
    विश्व पर्यावरण दिवस 2018 की थीम प्लास्टिक पोल्यूशन को रोकना है।

Comments are closed.