बाल कविता

मेरी जान हिन्दुस्तान

मैं हूं इसकी लाड़ली बिटिया,
सदा रखूंगी इसका मान,
बड़ी शान से सदा कहूंगी,
मेरी जान हिन्दुस्तान.
इसके प्रहरी रहते चौकस,
कहलाते वे वीर जवान,
थाम तिरंगा कर में गाते,
मेरी जान हिन्दुस्तान.
सारे देश को अन्न मिले,
जब खेत में खटते खूब किसान,
खटकर भी वे शान से कहते,
मेरी जान हिन्दुस्तान.
यहां नमस्ते और प्रणाम,
यहां योग और प्राणायाम,
जग में योग का मान बढ़ाए,
मेरी जान हिन्दुस्तान.
प्रेम-प्यार की गंगा बहती,
यमुना को हम करें प्रणाम,
नदिया सागर में मिल गाती,
मेरी जान हिन्दुस्तान.
मैं भी सबको यही सिखाती,
सदा बढ़ाना इसका मान,
झंडा ऊंचा रहे हमारा,
मेरी जान हिन्दुस्तान.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244