कविता

उतरन

उतरन शब्द को महसूस कीजिए
नकारात्मक बोध से बाहर निकलिए
सकारात्मक सोच विकसित कीजिए,
सारा नज़ारा बदल जायेगा
उतरन जब आपका प्यार पाकर
किसी के चेहरे पर मुस्कान ले आयेगा,
उतरन का सही अर्थ आपको
तब ही वास्तव में समझ आयेगा।
उतरन को सार्थक बनाओ
किसी के काम आ सके
ऐसा उपाय अपनाओ,
आपकी उतरन आपके लिए
पुरानी, फालतू, बेकार हो सकती है
पर जाने कितनों की गुजर बसर
सिर्फ उतरन से ही होती है।
हम जिसे उतार कर फेंक देते हैं
कूड़ा करकट, नालियों में ढकेल देते हैं,
बस उनका ही हम सदुपयोग करना सीख जायें
तो विश्वास कीजिए
धरा पर एक भी शख्स नंगा नहीं रहेगा।
जरुरत है बस सोच बदलने की
किसी के नंगे शरीर को ढकने की
उतरन के प्रति दृष्टिकोण बदलने की।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921