लघुकथा

आज़ादी

रामू-अरे आजाद हो ग,ए तो इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है।कि तुम तमाम बंदिशों को भूल जाओ।जिनका होना भी बहुत जरुरी है। आजादी अपनी जगह ठीक है लेकिन। कुछ बंदिशें भी जरुरी है। श्याम को समझाते हुए कहा।

श्याम-मगर आजादी का मतलब तो होता है।सभी तरह से आजाद।फिर बंदिशों का क्या मतलब ।ये तो वहीं बात हो गई।कि हाथ पैर को बांध करके कह दिया गया कि।अब तुम्हें दूसरे शहर जाने की पूरी आजादी है।
रामू-तुम समझें नहीं आज़ादी का मतलब ये थोड़ी है।तुम सभी बंदिशों से आजाद हो गए। तुम्हारी कुछ सीमा भी है।जिसका उल्लंघन करने पर कानून को दंडित करने का अधिकार है। अगर कानून लोगों को अपना डर न दिखाएं। तो अराजकता फ़ेलने का ख़तरा है।
— अभिषेक जैन

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश