रूही (कहानी)
रूही अपनी गाड़ी पार्क करके बाहर निकल ही रही थी कि रोहन ने उसे देख लिया और हाथ उठाकर अपनी ओर आने का इशारा किया। चंडीगढ़ की चौड़ी सड़कें और उनके दोनों ओर खड़े छायादार वृक्ष जितने सुहावने दिखते हैं, उससे कहीं ज्यादा सुंदर चंडीगढ़ का सुखना लेक गार्डन है.. रूही, रोहन के पास आकर बोली यहां क्यों खड़े हो रोहन..?? और भींग क्यों रहे हो..(सर्दी में हल्की हल्की फुहार गिर रही थी)
रोहन ने अपने जेब से रुमाल निकाला और मुँह पर लगाकर दो तीन बार छींक दिया…
सर्दी हो गयी रोहन, ऐसी सर्दी में आपको सिर और मफलर बांधना चाहिए था.. । रोहन कुछ नहीं बोला उसके कदम सुखना झील पार्क के अंदर की ओर बढ़ने लगे .. रूही उसके साथ साथ चल रही थी..दोनों टी स्टॉल के पास रुके और दो कॉफी का ऑर्डर देकर बैठ गए…
रोहन कद में पाँच फ़ीट सात इंच लंबा रंग गोरा और देखने में बहुत हैंडसम है।
रुही ने चुप्पी तोड़ी और कहा सेहत का थोड़ा ख्याल रखा कीजिये जनाव .. आजकल खुद के प्रति लापरवाह होते जा रहे हो तुम..रोहन ने उसकी बात का पूरा सम्मान रखा .. ठीक है अब ध्यान रखूंगा
रोहन ने पूछा लेट कैसे हो गयीं तुम ..?
अरे यार..एक तो आज ऑफिस में काम ज्यादा था.. इधर जैसे निकलने को हुई तो मम्मी का फोन आगया..मम्मी से बात खत्म हुई तो गाड़ी के सामने एक ट्रक खड़ा हुआ था, उसके वहाँ से निकलने में पांच मिनट लगे और अभी यहाँ पीछे जाम लगा हुआ था.. बस…..इतनें में देर हो गयी..।
मोबाइल की स्क्रीन देखकर .. 36 मिनट लेट हो गई …सॉरी..
रोहन कॉफी का कप उठाता है और रूही के हाथों में देता है …
रूही अपनी आंखों से चश्मा हटाकर टेबिल पर रख देती है, कॉफी कप उसके गुलाबी ओठों पर लग जाता है…चाँद से दमकते गोल मुख पर छूटी हुईं अलकें मानो अठखेलियां कर रहीं थीं, एक अलक उसके अधर से लग जाती है जैसे भ्रमरी गुलाब का मकरंद पी रही हो…
ऐसे ही रजनीकांत स्टाइल में बैठे रहोगे या बात भी करोगे, मैं बहुत सा काम छोड़कर आई हूं ऑफिस में..पता है आपको?? मुझे रात को करना पड़ेगा और तुम मिस्टर एटिट्यूड मैन..
कहकर हँसने लगती है…..
रोहन कुछ देर रुककर…
रूही मुझे तुमसे मिले छः महीने के आसपास हो गए । मुझे याद है हम जून की 28 तारीख को मिले थे और आज दिसम्बर की 26 तारीख है.. । तुमसे मिलने के बाद मैं अब खुद को सम्भाल नहीं पा रहा हूँ, तुम मेरी मरुस्थल सी जिंदगी में मीठे पानी का झरना बनकर आगयी हो और मैं तुमको खोना नहीं चाहता । तुम मेरे हृदय के मधुवन में महकता गुलाब हो, जिसकी सुगन्ध से मैं मदहोश हो गया हूँ । ऐसा कोई क्षण नहीं जो मेरे लिए तुम्हारी याद का साक्षी नहीं… मुझे जनवरी के फर्स्ट वीक में ऑफिस के काम से दो दिन के लिए मेरठ जाना है, मेरा मन है तुम मेरे साथ चलो ।
इम्पॉसिबल…..
रूही तपाक से बोली..
और रोहन तुम मेरी एक बात ध्यान से सुनो…मैं तुमसे अब बात करना कम करूंगी..क्योंकि मेरे पास समय बहुत कम है और काम बहुत है.. मेरे लिए बहुत सी प्रायोरिटी हैं जिन्हें देखना है और तुम भी मुझसे थोड़ा कम बात किया करो..मैं नहीं चाहती तुम मेरे लिए अपना मानसिक संतुलन खो बैठो..
रोहन का नंगा पैर मानो बिजली के नंगे तार पर रख गया हो..रोहन के शरीर का रक्त प्रवाह रुक सा गया..
रूही, फेस रीडिंग करने में एक्सपर्ट थी उसने रोहन का फेस झट से पढ़ लिया और समझ लिया कि इस समय रोहन भावनात्मक रूप से कमजोर हो चुका और इस वक्त रोहन को खुद से डिसकनेक्ट किया जा सकता है । रूही नहीं चाहती कि रोहन मेरे हृदय पर अपना अधिकार करे । रूही जानती थी कि रोहन एक सरल सहज और भावनात्मक इंसान है, जब से मेरे संपर्क में आया है मेरे हृदय पर मेरे न चाहते हुए भी उसका अधिकार होता जा रहा है । रोहन अच्छा इंसान है, इसके प्रेम में पवित्रता है । रूही भीतर से रोहन के प्रेम की तपन से हिमालय की बर्फ सी पिघलने लगी थी । वह समझ गयी मेरा और ज्यादा पिघलना मेरे सँजोये हुए सपनों के लिए रुकावट बन जाएगा । रोहन का हृदय बहुत कोमल है, लेकिन मेरे उम्मीदों के आसमान में उड़ने के लिए इसके पास पंख नहीं हैं । बिना पंख का पक्षी किसी का कभी भी शिकार हो सकता है ।
रूही उन्मुक्त नील गगन में स्वछंद उड़ना चाहती थी, जहाँ उसे न कोई रोकने वाला हो और न टोकने वाला । अपने वाक्चातुर्य और अति बौद्धिक क्षमताओं से उसने अपने ऊपर किसी को हावी नहीं होने दिया । यूँ तो वह साइंस की स्टूडेंट थी लेकिन मनोविज्ञान उसका काफी हद तक अच्छा था । तर्क शक्ति तो उसकी दासी थी, बड़े- बड़े ज्ञानियों की बोलती बंद कर देती थी । न जाने कितने ही उसके सौंदर्य पर मुग्ध थे,जिन्हें उसने नजर उठाकर देखा तक नहीं, लेकिन उसके हृदय पर राज करने वाला उसकी अपेक्षा के अनुरूप उसे आज तक नहीं मिला.. रोहन को अब तक नहीं पता कि वह रूही के काविल नहीं है ।
रूही ने बात को घुमाए बिना सरल सपाट शब्दों में कह दिया कि मेरी निकष पर तुम खरे नहीं हो रोहन । मेरी उम्मीद और आशाएँ तुम्हारी क्षमता में बहुत ऊपर हैं और तुम अगर मुझसे कोई उम्मीद कर रहे हो तो सॉरी,,,, मैं उन्हें पूरा नहीं कर सकती ।
रोहन स्तब्ध था, भावनाओं की गंगा में डुबकी लगाने वाला रोहन आज अपने प्रेम की पवित्रता का प्रमाण दे रहा है जो रूही के लिए सम्मानजनक तो है लेकिन ग्राह्य नहीं ।
रूही मेरी तुमसे कोई उम्मीद नहीं है, मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए, बस तुम्हारे हृदय में मेरे प्रेम का जो अंकुरण हुआ है उसमें सींचते रहना ।
रूही ने कह दिया रोहन तुमको समझ नहीं आरहा कि मेरे हृदय में आपके प्रेम का कोई बीज बोया ही नहीं तो अंकुरण कहाँ से होगा?? अगर है भी तो मुझे अंकुरण होते ही उखाड़ के फेंकने में कोई गुरेज नहीं….
रूही यह तुम कह रही हो!!!!!!!!!!
तुमने अभी दो दिन पहले ही कहा था कि तुम्हे देखकर मेरे भीतर कुछ होने लगता है, तुमसे नजरें मिलते ही मैं लजा जाती हूँ , रोहन मुझे तुमसे प्रेम तो नहीं हो गया !! यही शब्द थे न तुम्हारे रूही । तुमने मेरे साथ बीते दिनों में जो समय बिताया है, वह इतना आंतरिक और भावनात्मक कैसे था..??
रोहन तुम इसे प्यार कहते हो तो ये तुम्हारी नासमझी है,
प्यार के लिए मेंटली, फिजीकली और हार्टली कनेक्ट होना होता है । और जो मैं नहीं हूँ और होना भी नहीं चाहती..
लेकिन मैं तो मेंटली, फिजीकली और हार्टली कनेक्ट हूँ
रोहन तुम यहाँ फ़ैल होचुके..
मेंटली होने का सम्बन्ध विवाह से जुड़ा है और यह संभव नहीं हैं …
और हाँ…अगर तुम मुझे प्रेम करते हो तुम्हें मेरी कुछ शर्तें माननी होंगी.. ।
रूही की इस तरह की भाषा और बॉडी लैंग्वेज को रोहन पहली बार देख रहा था, रोहन ने बड़ी विनम्रता से कहा रूही जो प्रेम शर्तो से खड़ा हो वह मुझे कभी मंजूर नहीं । अब तुम पर मेरा कोई हक नहीं है, । प्रेम तो अंकुरण है, प्रभात का पुष्प है, झरने का निर्मल जल है, गीत है संगीत है..
कहते- कहते रोहन की आँखों में मेघ उमड़ आते हैं,
रूही उन मेघों के बरसने का अंदाजा लगा लेती है, भींगने से बचने के लिए अपना चश्मा उठाती है और गाड़ी की चाबी उछालते हुए पार्क से निकल जाती है… ।
रूही और रोहन एक दूसरे नहीं मिले और न दोनों के बीच कोई डिजिटल संवाद हुआ । रूही के भीतर इस बात की व्यथा थी कि मैंने रोहन का दिल दुखाया है, लेकिन रूही का बचपन स्ट्रगल में गुजरा, जिस जॉब को वह कर रही थी उससे वह संतुष्ट नहीं थी । उसने छह महीने बाद नौकरी छोड़ दी और खुद की कम्पनी बनाई । कम्पनी ने अगले एक वर्ष में काफी ग्रोथ की, काम बढ़ता गया । रूही ने जो स्वप्न देखा था, उसे अब वह साकार होता दिखने लगा । रूही को भरोसा होगया कि मैं अब अपनी कठोर मेहनत और अपने स्टाफ के बल पर अगले पांच वर्ष में कम्पनी का टर्नओवर बढ़ा लूंगी।
रोहन अभी तक रूही को भुला न सका, रुही आज भी उसकी सांसों का हिस्सा है। रोहन जिस कम्पनी में जॉब करता था, मेहनत के बल पर अब उस कम्पनी का सी.ई.ओ. है । अपने ऑफिस की टेबल पर एक सुंदर फ्रेम में रूही का फोटो लगा रखा है… तीन महीने पहले रोहन की सगाई हुई लेकिन दस दिन बाद लड़की ने शादी करने से इसलिए इंकार का कर दिया कि रोहन किसी अन्य लड़की से प्रेम करता है ।
रोहन अपनी ऑफिस में सुबह ग्यारह बजे मीटिंग ले रहा था कि मोबाइल पर बेल बजी..
रोहन कॉल रिसीव करता है
हेलो …???
गुड़ मॉर्निंग सर, रोहन सर से बात हो सकती है क्या ?
जी बताएं मैं रोहन ही बात कर रहा हूँ ..आप कौन ??
सर मुझे आपसे मिलना था..क्या आप अभी ऑफिस में हैं ?
जी एक घंटे बाद आ सकते हैं..
ओके सर मैं एक घंटे से आता हूँ…
एक लड़का उम्र बाईस के आसपास होगी, सफेद शर्ट- ब्लेक जींस पहने, जो देखने में काफी स्मार्ट है, रोहन की अनुमति लेकर ऑफिस में इंट्री करता है और एक लिफाफा रोहन के हाथ में देकर, ओके सर कहकर निकल जाता है…
रोहन लिफाफा खोलकर देखता है जिसमें एक लेटर है
रोहन देखकर दंग रह जाता है…
My dear Rohan
I love you
I want to meet you today at sukhana leke garden
at five o’clock in the evening.
I will wait… Roohi
रोहन पांच बजे सुखना लेक गार्डन पहुँच जाता है, उसी टी स्टॉल की उसी टेबल पर रूही बैठी थी, रोहन को देखते ही हाथ जोड़कर खड़ी हो जाती है… रोहन 15 सेकेण्ड रूही को अपलक निहारता रहता है मानो स्वर्ग से उर्वसी अप्सरा उतर आई हो । रूही अपने पर्स से डायमंड लगी सोने की एक जंजीर निकाल कर रोहन के गले में पहना देती है और अगले महीने 26 दिसम्बर की विवाह की लग्न पत्रिका मुस्कुराते हुए रोहन के हाथों में सौंप कर नारी स्वभावगत लज्जा से नजरें झुका लेती है…
.शादी के बाद रूही बताती है कि आपकी जो सगाई टूटी थी वो मैंने ही तुड़वाई थी क्योंकि मैं रोहन जैसे डायमंड को रूही किसी और लड़की के गले में नहीं देख सकती थी….
— डॉ.शशिवल्लभ शर्मा