राजनीति

आजाद भारत का अमृत महोत्सव

जो भरा नहीं है भावों से ,बहती जिसमें रसधार नहीं
वह हृदय नहीं वो पत्थर है ,जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं
जी हां दोस्तों,
हम भाग्यशाली हैं जो हमे आज़ाद भारत में जन्म मिला। वो आज़ाद भारत जिसकी आज़ादी की कीमत हमारे पूर्वजों के द्वारा चुकायी गयी है। आज भी पूरा देश इन वीर सपूतों को याद करता है और उनके देशभक्ति के जज़्बे को नमन करता है। आज उन सभी वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पण करते हैं जो देश की सम्प्रभुता, अखंडता, एकता की रक्षा के लिए शहीद हो गए।

आज का भारत पहले के अपेक्षा बहुत से क्षेत्रों में विकसित हुआ है। फिर चाहे वो तकनीकी का क्षेत्र हो , चिकित्स का क्षेत्र हो , कृषि क्षेत्र या अन्य कोई क्षेत्र हो ,भारत सभी क्षेत्रों में विस्तार कर रहा है। हमारा देश दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र उदाहरण हैं। हमारे देश की सशस्त्र सेना बल बहुत मजबूत है साथ ही हमारा देश अब दुनिया की परमाणु शक्ति संपन्न देशो में से एक बन चुका है। आज भारत एक प्रगतिशील और सम्मानित शांतिप्रिय देश के तौर जाना जाता है ।

आज भी हमारी आज़ादी को बनाये रखने के लिए देश की सरहदों पर हमारे सशस्त्र सेना बल के जवान दिन रात खड़े रहकर हमारी और संपूर्ण देश की सुरक्षा कर रहे हैं। हमे सलाम करना होगा उनकी इस देशभक्ति को जो हमारे लिए अपने घर परिवार को छोड़कर विषम प्राकृतिक परिस्थितियों में भी हमारी सुरक्षा कर रहे हैं। धन्य हैं वो माताएं जो अपने सपूतों को देश के लिए स्वयं से दूर कर देती हैं ताकि वो अपनी मातृभूमि के सम्मान की रक्षा कर सकें। साथ ही भाग्यशाली हैं वो बहने और वो पत्नियां जो जो अपनी राखी और सिन्दूर से पहले अपने देश के सम्मान को पहले रखती हैं। हमे गर्व होना चाहिए की हम ऐसे देश के नागरिक हैं। 15 अगस्त मनाने का मकसद हमारा तभी पूरा होगा जब हम आज़ादी के सही मायने समझेंगे।आज आज़ादी के इतने सालों बाद हम हर साल 15 अगस्त को आज़ादी के दिवस को मनाते हैं पर क्या हमें असल में आज़ादी के मायने पता हैं ? क्या हम पूरी तरह से आज़ाद हैं ? क्या हमे वो आज़ादी मिली जिसकी कल्पना हमारे पूर्वजों ने की थी ? हमारा वो देश जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने इतना सब कुछ किया उस देश के लिए क्या हम व्यक्तिगत स्तर पर अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा सकतें ? क्या आप को नहीं लगता कि हम ऐसे सम्मानित देश के नागरिक हैं जिसका बहुत ही वैभवशाली इतिहास है , जो बेहद शांतिप्रिय है और जिसके नागरिक होने के नाते हमारा ये फ़र्ज़ बनता है की हम भी अपने देश को और भी बेहतर बनाने के लिए अपना योगदान दें।

हम हर साल आज़ादी का दिवस मानते हैं ,
लेकिन दोस्तों क्या ये सब करके हम सच्चे मायने में देश भक्त बन जाते हैं ? हर साल भाषण देकर और देशभक्ति के गाने गाकर व बजाकर और देशभक्ति के नारे लगाकर हम देशभक्त नहीं बन जाते। हमारी जिम्म्मेदारी यहाँ पूरी नहीं होती । जी हाँ , इतना काफी नहीं है। इसके लिए आवश्यक है की हम आज़ादी के सही मायने समझें और साथ ही देश के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी भी। अपने बेहतर राष्ट्र निर्माण के लिए हमे आज के दिन बड़ी बड़ी बातें करने की बजाये कुछ छोटी छोटी कोशिशें करनी होंगी।

आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी आज बहुत से ऐसे पक्ष हैं, जो हमारे आज़ाद भारत की कल्पना से परे हैं। समाज में आज भी अशिक्षा , बेरोजगारी , मानव तस्करी , गरीबी ,  बाल मजदूरी , भ्रष्टाचार , देह व्यापार , बेईमानी आदि समस्याओं से छुटकारा पाना बाकी है। दोस्तों अगर आज ये हमारे स्वतंत्रता सेनानी ज़िंदा होते तो सोचिये , क्या वो आज के भारत को देख कर गर्व से कह सकते की ये उनके सपनों का भारत है? शायद नहीं। वो आज सड़क पर भूखे नंगे घुमते उन बच्चों को जिन्हे भारत का भविष्य कहा जाएगा वो इस तरह भीख मांगते , कूड़ा बीनते दिखेंगे तो क्या पहचान पाएंगे वो अपने भारत को ? नहीं , बिलकुल नहीं , ये उनका भारत नहीं है जिसके लिए उन्होंने अपनी कुर्बानी दी।उनका भारत बनाने के लिए अब हमे आगे आना होगा। हमे अपने स्तर पर आगे बढ़ना होगा। सब कुछ सरकार के भरोसे न छोड़े , सरकार समय समय पर बदल जाती है। आप सरकार का चुनाव करते हैं लेकिन सिर्फ इतना काफी नहीं है , सरकार को जिस कारण से लाये हैं उस मकसद को पूरा करने के लिए दबाव बना कर रखें। साथ ही स्वयं भी एक ज़िम्मेदार नागरिक बनें। लोकतंत्र के नाम पर आप ठगे न जाएँ इसके लिए ऐसा करना आवश्यक है। समाज में एकरूपता लाने ,समाज से गरीबी दूर करने, बेटियों को आज़ादी देने और देश को मजबूत करने के लिए जो भी बन पड़े वो अपने स्तर पर करते रहे।

देशभक्ति मतलब सिर्फ देश के ध्वज को लहराना नहीं है ,
बल्कि अपने देश को मजबूत और सशक्त बनाने में सहायता करना भी है .

अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या करें जो हम अपने स्तर पर देश की बेहतरी के लिए कर सकें। आप की देशभक्ति सिर्फ एक दिन की देशभक्ति न रह जाए। आप हमेशा अपने देश को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहे। तो इसके लिए क्या करें अब इसी पर अपने विचार रखती हूँ। देश को पहले की तरह विश्वगुरु बनाने के लिए हमे अपने देश के विभिन्न पक्षों एवं क्षेत्रों को मजबूत करना होगा , जिसके लिए आवश्यक है की हम सभी मिलकर इस ओर कदम बढ़ाएं।

इस बात का इंतज़ार न करें की सरकार क्या करेगी ? अपनी ज़िम्मेदारी को समझें। देश हमारा है , हमें ही इसे आगे बढ़ाना है। हमें ही आत्मनिर्भर बनना होगा और देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा। यूँ हाथ पर हाथ रखे बैठने से कुछ नहीं होगा। जब आजतक नहीं हुआ तो आगे भी नहीं होगा। अगर कुछ बेहतर चाहते हैं तो कुछ बेहतर करना होगा। हमे साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा।

सबसे पहले स्वदेशी अपनाएं। जैसे की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने नारा दिया है कि वोकल फॉर लोकल बने। आप अगर अपने देश से प्रेम करते हैं तो आप को अपने देश में निर्मित वस्तुओं पर भरोसा करना होगा। उनका इस्तेमाल करना होगा। आप को आत्मनिर्भर बनना होगा। इस का ये मतलब नहीं है की आप देश के बाहर की वस्तुओं को त्याग दें। आप उनका इस्तेमाल करें, उनसे सीखें और स्वयं अपने प्रोडक्ट में सुधार करें, उन्हें निर्मित करें। सीधे शब्दों में आप उन्हें सीखकर बेहतर बनाए। अपने देश में बनाएं।आज भी बहुत से लोग हैं जो पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण करने को बिलकुल गलत मानते हैं। लेकिन यहाँ मेरा विचार है कि आप किसी भी सभ्यता का अनुसरण अपने देश के परिप्रेक्ष्य में सोच समझ कर करें और सिर्फ उतना ही करें जिसमें आप की सभ्यता का अस्तित्व खतरे में न पड़े। आप सभी जगह से कुछ न कुछ अच्छा ले सकते हैं। अगर इसमें आप के देश आप के लोगों की भलाई है तो आप एक सीमा तक अनुसरण कर सकते हैं।

सिर्फ सोशल मीडिया पर अपने जज़्बात लिखना देशभक्ति नहीं होती। साल में सिर्फ 2 दिन तिरंगा लहराना काफी नहीं ,बल्कि सालभर अपने व देश के लिए अपना कार्य पूरी लगन, ईमानदारी सच्ची निष्ठां से करे तो वही देशभक्ति है। विडंबना देखिये देश के पढ़े लिखे नौजवान देश की हालत के लिए राजनीति को ज़िम्मेदार ठहराते हैं। जबकि उन्हें तो देश की हलात सुधारने का बेडा उठाना चाहिए। समय की जरुरत है की सभी पढ़े लिखे नौजवानों को अब राजनीति की मुख्यधारा में आना होगा और अपने देश को सदियों से चले आ रहे कुरीतियों और पुराने विचारों से आज़ाद करना होगा। नई सोच के साथ नए देश का निर्माण करना होगा।
सुंदर है जग में सबसे, नाम भी न्यारा है,
जहां जाति-भाषा से बढ़कर, देश-प्रेम की धारा है,
निश्छल , पावन , प्रेम,पुराना, वो भारत देश हमारा हैं।
इन पंक्तियों के साथ में आप अपने विचारों को विराम देती हूं।

— डॉ. सारिका ठाकुर ‘जागृति’

डॉ. सारिका ठाकुर "जागृति"

ग्वालियर (म.प्र)