कविता

राखी का महत्व

न रिश्ता है न संबंध
राखी है पवित्रता का अनुबंध,
रिश्ते सारे खोखले हैं
बस जीवन के चोंचले है।
आज हर एक रिश्ते में
विडंबना घर कर गई है
कहीं फूल झड़ते हैं
तो कहीं अंगार बरस रहे हैं।
रिश्ते रिश्तों की मर्यादा
निभाते रहें यह बड़ी बात है
आधुनिकता का घात प्रतिघात
रिश्तों पर भी हो रहा है,
ये बड़ी चिंता की बात है।
राखी का पवित्र त्योहार भी
अब कहाँ बच पा रहा है,
यहाँ भी औपचारिकता का
खूब दखल बढ़ा रहा है।
राखी का ये अद्भुत त्योहार
भाई बहन का पवित्र रिश्ता
युगों युगों तक कायम रहे
बस इतनी दुआ करते रहिए,
सभी बहन भाई एक दूजे से
अपने रिश्ते मजबूत करते रहिए ।
राखी के कच्चे धागों का मोल
हम सभी समझते ही रहें
राखी बांधकर ही नहीं बंधवा कर भी
राखी की महक संग संदेश भी सहेजते रहिए।
रिश्ते खून के हों या भावनाओं के
सगे सौतेले कभी नहीं होते
सुविधा, स्वार्थ देखकर इन्हें
परिभाषित करने से बचिए,
राखी का महत्व बहुत पावन है
इसकी पावनता को बनाए रखिए।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921