कविता

तो आप भी कृष्ण हैं

कृष्ण कौन है या नहीं है
क्या हम आप जान, पहचान सकते हैं
क्या हम आप भी कृष्ण हैं?
ये भी हम आप खुद ही जान सकते हैं?
बिल्कुल जान सकते हैं।
झांकिए अपने आप में
देखिए अपने आप पता चल जाएगा
कृष्ण अकृष्ण का भेद स्वत: खुल जायेगा।
विध्वंसक होने की शक्ति के बाद भी
क्या हम अंत तक क्षमा की शक्ति का
अंतिम विकल्प तक संयम रख पा रहे हैं,?
यदि हाँ! तो आप भी कृष्ण हैं।
अपने हाथ में अस्त्र शस्त्र होने पर भी
क्या कृष्ण की तरह मुरली में रम पा रहे हैं,?
सामर्थ्यवान होकर भी क्या
सारथी बनने का हिम्मत कर पा रहे हैं?
यदि हाँ! तो आप भी कृष्ण हैं।
क्या मृत्यु का भय छोड़ मुस्कराते नाचते गाते
मस्ती में आनंद की हिलोरें ले पा रहे हैं?
क्या साधन संपन्न होकर भी आप
किसी गरीब, निर्धन, असहाय को
अपना प्रिय मित्र सगर्व बना पा रहे हैं?
यदि हाँ! तो आप भी कृष्ण हैं।
कृष्ण की जगह रखकर सोचिए
क्या उनकी तरह माँ यशोदा के बँधन की तरह
बँधने की सहनशक्ति दिखा पा रहे हैं?
क्या राधा के प्रेम में बँधने का सा विशाल हृदय
कृष्ण की तरह अपने आप में पा रहे हैं!
यदि हाँ! तो आप भी कृष्ण हैं।
क्या नीति नियंताओं वाला भाव
आपके मन में नहीं चलता
क्या आप नीति नियंता की नीतियों को
चुनौती देने से बच पा रहे हैं?
यदि हाँ!तो आप कृष्ण हैं।
क्या आप कृष्ण को अपने जैसा पा रहे हैं
कृष्ण जैसे भाव विचार आपके भी हैं?
क्या आप कृष्ण होने का आवरण नहीं ओढ़ रहे हैं?
यदि हाँ! तो आप कृष्ण हैं।
यदि हाँ! तो आप कृष्ण हैं।।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921