कविता

नयन कजरारे!

अधर अधीर, कह नहीं पाए,
नयन कजरारे प्रेम जताये,
साजन प्रणय-तीर बरसाये,
सजनी व्याकुल, पिया मनभाये।।
रिमझिम बरखा की बूंदे,
नयन प्रेमरस धार बरसाये,
भीग भीग जाए सजनी साजन,
नयनों में नेह दीप जगमगाये।।
बेचैन दिल का आईना नयन,
प्रेमभाव से सराबोर नयन,
हमराह मेरे, प्रितम मनभावन,
साथ निभाना साथी, कहे नयन।।
नयनों से जब मिले नयन,
प्रीतपुष्पों से खिला उपवन,
चहका, महका दिल गुलशन,
प्रेमरंग सुध बुध खोये मन।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८