कहानी

कहानी – कोई तन से दुखी कोई मन से दुखी

किशोर और राकेश बहुत अच्छे मित्र थे उनके एक एक बेटा था. किशोर के बेटे का नाम राहुल और राकेश के बेटे का नाम आकाश था और उनके बेटे राहुल और आकाश भी  मित्र थे .दोनों दोनों साथ साथ पढ़ते थे  उनके पारिवारिक सम्बंध भी अच्छे थे. आकाश के पिता एक  बिजनेसमैन और  राहुल  के पिता की फैक्टरी थी दोनों  बहुत अच्छे मित्र थे. आकाश की पढ़ाई पूरी होने के बाद उसके पापा एक अच्छे घर में सम्बंध अच्छे खानदान और संस्कारवान परिवार में करने की सोच ही रहे थे. वह लव मैरिज के खिलाफ थे
आकाश को यह बात पहले से ही पता थी .वो अपने साथ पढ़ने वाली लड़की रीना से शादी करना चाहता था पापा के मना करने के बाद भी वो एक गरीब घर की लड़की से मंदिर में शादी करके ले आया. और पिता के सामने लाकर खड़ा कर दिया  यह देखकर आकाश के पिता मन से दुखी हुए . आकाश से बोले “मेरे कितने अरमान थे तेरी शादी को लेकर लेकिन तुमने सब बर्बाद कर दिए. आकाश बोला “पापा में रीना से बहुत प्यार करता हूँ मैंने उसको शादी करने का वायदा किया था अगर आपको बताता तो आप मुझे उससे शादी नहीं करने देते इसलिए मुझे मंदिर में शादी करनी पड़ी” राहुल के पिता ने भी उनको समझाया  बोले “किशोर कोई मन से दुखी मत हो और बहू को स्वीकार कर करो लेकिन किशोर नहीं माना और अपने कमरे में चले गए”
एक दिन किशोर की बहुत तबीयत खराब हो गयी घर में कोई नहीं था. रीना ही उनको हॉस्पिटल लेकर गयी और उनकी अच्छे से देखभाल की यह सब देखकर किशोर को अपनी गलती का अहसास हुआ. और उसने रीना को अपनी बहू स्वीकार कर लिया.
राकेश के पास बहुत धन दौलत थी अनेक कंपनी के मालिक थे. वो तन से दुखी थे वो दिल  के मरीज थे इतना सब कुछ होते हुए उनके लिए उबला हुआ खाना बनता था वो बिना घी,तेल का जो उनको जरा भी पसंद नहीं था. डॉक्टर ने उनके सेहत के लिए यही खाना खाने को बोला था हर समय मानसिक चिंता में डूबे रहते थे .राहुल को शादी के लिए ऐसी लड़की चाहिए थी जो उसके पापा की देखभाल कर सके और घर भी संभाल सके.
हुआ भी यही सीमा सब काम करने के साथ राहुल के पापा भी बहुत खयाल रखती थी बड़े ही खुश होकर करती थी. वो अपने ससुर को भी खुश रहने को बोलती उनकी हर जरूरत का ख्याल रखती राकेश भी उसको बेटी तरह ही मानते थे. धीरे धीरे उनकी तबियत में भी सुधार होने लगा राकेश को अब मानसिक तनाव कम होने लगा .और हमेशा वो खुश रहने का प्रयास करते वह अब धीरे धीरे स्वस्थ हो रहे थे  समय बीता किशोर के यहां पोते का जन्म हुआ और राकेश के यहां पोती का दोनों  बहुत खुश थे. दोनों ने जिंदगी में कभी दुखी न होने का अपने आपसे वादा किया अब न कोई तन से  दुखी होगा न कोई मन दुखी होगा. यह कहकर दोनों मित्र गले लग गए.

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश