कहानी

लक्ष्मी घर आई

माधवी अपने जीवन से खुश थी। भगवान ने उसे प्यार करने वाला पति, माता पिता समान सास-ससुर और एक प्यारा सा बेटा दिया था। घर भी संपन्न था। बाहर से देखने पर उसके जीवन में सुख ही सुख नज़र आता था परंतु उसके मन में एक कसक थी। उसे बेटी चाहिए थी और वह दूसरी बार मां नहीं बन सकती थी। बेटे के जन्म के समय गर्भधारण में हुई जटिलताओं के कारण डॉक्टर ने दूसरे बच्चे की इच्छा को छोड़ देने के लिए कहा था जबकी उसकी हमेशा से इच्छा थी कि उसकी भी एक बेटी हो। बेटी के बिना घर सूना सूना लगता है। त्योहार और पूजा भी अधूरे से लगते हैं।
दिवाली के त्योहार पर विषेश रूप से उसे अहसास होता की घर में लक्ष्मी का होना आवश्यक है। शादी को चार वर्ष हो चुके थे। उसका बेटा कौसतुभ तीन वर्ष का होने वाला था। हर वर्ष की तरह इस बार भी दीपावली का त्योहार धूम धाम से मनाया जाने वाला था। खरीदारी चल रही थी। सासुजी बाज़ार नहीं जाती थी इसलिए माधवी ही अपने ड्राईवर महेश के साथ बाज़ार से सामान लेने जाती थी। आज जब वापिस आयी तो महेश ने बताया कि कल से चार दिन बाद तक नहीं आ पायेगा। उसकी नजदीक की रिश्तेदारी में किसी की मृत्यु हो गई थी। उसे वहीं जाना था। उसकी पत्नी पहले से ही वहाँ गई हुई थी। माधवी ने सोचा तीन चार दिन घर की सफाई हो जाएगी तो महेश के आने के बाद बाकी की खरीदारी कर लेगी।
चार दिन बाद महेश वापिस आया तो दुखी लग रहा था। पुछ्ने पर भी कुछ नही बताया। माधवी ने अपने पति सिद्धार्थ से उससे बात करने के लिए कहा। सिद्धार्थ के पुछ्ने पर उसने बताया की वह नौकरी छोड़कर गाँव जाने की सोच रहा है। उसकी पत्नी की छोटी बहन की मृत्यु हो गई है। उसकी एक महीने की बेटी है। बहन का पति दूसरा विवाह कर रहा है और बेटी को रखना नही चहता है। उसके ससुराल में भी उनके सिवा और कोई उस बच्ची की जिम्मेदारी लेने वाला नही था। पहले से ही अपने दो बच्चे थे। शहर में रहकर तीन बच्चों का खर्चा उठाना उसके वश के बाहर था। छोटी बच्ची को सम्भालने के कारण पत्नी भी कोई काम नहीं कर पा रही थी। इसलिए उसने बच्ची के बड़े होने तक गाँव में ही जाकर रहने का मन बना लिया था।
सिद्धार्थ ने माधवी को सब बता दिया। माधवी काफी परेशान हुई फिर कुछ सोचकर मुस्कुरा दी। दीवाली से पहले दिन माधवी ने सिद्धार्थ को सचना दी की उनके घर में  दीवाली पर कुछ मेहमान आने वाले हैं। सिद्धार्थ के माता पिता और माधवी घर को ऐसे सजाने में लगे हुए थे जैसे आसमान से कोई फरिश्ता आने वाला है।
दीवाली आ गई। सब बहुत प्रसन्न थे। शाम को लक्ष्मी पूजन से पहले दरवाज़े की घंटी बजी। सिद्धार्थ ने दरवाज़ा खोला तो महेश अपने परिवार के साथ आया था। उसकी पत्नी ने छोटी सी बच्ची को गोद में ले रखा था। वे लोग अंदर आये और पूजा के लिए बैठ गये। सिद्धार्थ कुछ समझ नही पाया। पण्डितजी ने पूजा प्रारंभ की तो महेश की पत्नी ने छोटी बच्ची को माधवी की गोद में दे दिया। सिद्धार्थ कुछ पूछता इससे पहले ही पण्डित जी ने मन्त्र पढ़ने शुरु कर दिये। पूजा के समाप्त होने पर मां ने बताया की उन्होने अंजुरी को गोद लेने का निश्चय किया है और महेश की पत्नी को घर में खाना   बनाने के लिए रख लिया है। अब सिद्धार्थ सब समझ गया। माधवी ने नया फ्रॉक पहनाकर बच्ची को तैयार किया। उसकी खुशी का कोई पार नहीं था। आज पहली बार उसे लगा की उसके घर लक्ष्मी पूजन हुआ है। माँ लक्ष्मी खुद चलकर उसकी गोद में आ गई हैं।
— अर्चना त्यागी 

अर्चना त्यागी

जन्म स्थान - मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश वर्तमान पता- 51, सरदार क्लब स्कीम, चंद्रा इंपीरियल के पीछे, जोधपुर राजस्थान संपर्क - 9461286131 ई मेल- [email protected] पिता का नाम - श्री विद्यानंद विद्यार्थी माता का नाम श्रीमति रामेश्वरी देवी। पति का नाम - श्री रजनीश कुमार शिक्षा - M.Sc. M.Ed. पुरस्कार - राजस्थान महिला रत्न, वूमेन ऑफ ऑनर अवॉर्ड, साहित्य गौरव, साहित्यश्री, बेस्ट टीचर, बेस्ट कॉर्डिनेटर, बेस्ट मंच संचालक एवम् अन्य साहित्यिक पुरस्कार । विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा, बाल प्रहरी संस्थान अल्मोड़ा द्वारा, अनुराधा प्रकाशन द्वारा, प्राची पब्लिकेशन द्वारा, नवीन कदम साहित्य द्वारा, श्रियम न्यूज़ नेटवर्क , मानस काव्य सुमन, हिंदी साहित्य संग्रह,साहित्य रेखा, मानस कविता समूह तथा अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। प्रकाशित कृति - "सपने में आना मां " (शॉपिजन प्रकाशन) "अनवरत" लघु कथा संकलन (प्राची पब्लिकेशन), "काव्य अमृत", "कथा संचय" तथा "और मानवता जीत गई" (अनुराधा प्रकाशन) प्रकाशन - विभिन्न समाचार पत्रों जैसे अमर उजाला, दैनिक भास्कर, दैनिक हरिभूमि,प्रभात खबर, राजस्थान पत्रिका,पंजाब केसरी, दैनिक ट्रिब्यून, संगिनी मासिक पत्रिका,उत्तरांचल दीप पत्रिका, सेतू मासिक पत्रिका, ग्लोबल हेराल्ड, दैनिक नवज्योति , दैनिक लोकोत्तर, इंदौर समाचार,उत्तरांचल दीप पत्रिका, दैनिक निर्दलीय, टाबर टोली, साप्ताहिक अकोदिया सम्राट, दैनिक संपर्क क्रांति, दैनिक युग जागरण, दैनिक घटती घटना, दैनिक प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, निर्झर टाइम्स, दिन प्रतिदिन, सबूरी टाइम्स, दैनिक निर्दलीय, जय विजय पत्रिका, बच्चों का देश, साहित्य सुषमा, मानवी पत्रिका, जयदीप पत्रिका, नव किरण मासिक पत्रिका, प दैनिक दिशेरा,कोल फील्ड मिरर, दैनिक आज, दैनिक किरण दूत,, संडे रिपोर्टर, माही संदेश पत्रिका, संगम सवेरा, आदि पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन। "दिल्ली प्रेस" की विभिन्न पत्रिकाओं के लिए भी लेखन जारी है। रुचियां - पठन पाठन, लेखन, एवम् सभी प्रकार के रचनात्मक कार्य। संप्रति - रसायन विज्ञान व्याख्याता एवम् कैरियर परामर्शदाता।