कविता

हम हैं हिन्दी

हम हिन्दूस्तानी कर्म है ज्ञानी
पावन धरती प्यारा हिन्दुस्तान
भारत मेरी माता दधिचि सा दाता
ना है विश्व में कोई    अनजान

जम्मू द्वीपे भारत खण्डे में
आर्यावर्त है इनका ही नाम
नदी है माता जंगल है दाता
प्रकृति पूजते मान भगवान

धर्म सनातन के पुजारी देवी है नारी
विश्व गुरू था हमारी कभी पहचान
गीता की वाणी वेद दी है ज्ञानी
तुलसी कबीर हैं महाकवि महान

प्रभु श्री राम की धरती श्री कृष्णा की मुर्ति
बसते हैं जहाँ जन जन के        प्राण
दुश्मन जो है ललकारा घसीट के मारा
ये है हमारी वीरता की अजब शान

जुल्म ना है करना जुल्म ना है सहना
ये है हमारी नैतिकता की   पहचान
आँख जो दिखाया भाग ना वो पाया
ये है भारतीय की पौरूष के नाम

पत्थर भी पूजते संस्कृत भी बोलते
हम है हिन्दी हिन्दुस्तान मेरी जान
हिमालय खड़ा सर पे सागर है दर पे
ये है हमारा प्यारा सा हिन्दुस्तान

सूरज जहाँ आता अरूणाचल कहलाता
हम हैं मिहनती ग्रामीण       किसान
अन्न उपजाना जन जन को खिलाना
ये है हमारी वरसों से   अरमान

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088