क्षणिका

दीपक

दीपक सबको समान रूप से रोशन करता है,
स्नेह (तेल) की आखिरी बूंद तक अनवरत चलता है,
तेज़ हवाओं से भी साहस से लड़ता है,
निस्तेज होने से पहले अधिक तेज जलता है.
सदियों तक जिंदा रहनेवाली बात लिख गए,
रोज पढ़ता है जमाना वो इबारत लिख गए,
शहर की बिजली में क्या लिख पाते वो लोग,
जो दीपक में रामायण-महाभारत लिख गए.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244