कविता

हरियाली और रास्ता

हरियाली भी यही
रास्ते भी यहां
खेत भी यही
खलियान भी यहां
हम दोनों के मिलने की
घर भी यही
स्थान भी यहां
आओ प्यार करें
लगता है दिल भी यही
बसता है जान भी यहां
मोहब्बत का
सुरूर भी यही
इश्क़ की
जुनून भी यहां
दिल की
पुकार भी यही
प्रकृति से
प्यार भी यहां
पहला प्यार का
दंश भी यही
प्यार से उत्पन्न
अंश भी यहां
जिंदा रहने का
अरमान भी यही
बिना देह के
पवन का
गुमान भी यहां
आदि भी यही
अंत भी यही
आरंभ भी यहां
प्रस्थान भी यहां .
— मनोज शाह ‘मानस’

मनोज शाह 'मानस'

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