लघुकथा

दण्ड

सुबह -सुबह मैं अपने बगीचे में टहल रही.. । तभी कुत्ते की भौंकने की तेज आवाज आई …मैंने झांककर देखा !

कमल अपनी कुतिया कोको को अन्दर ले जाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन कोको अन्दर जाने को राजी नहीं थी।
“कमल क्यों जबरदस्ती कर रहे हो थोड़ा और खेल लेने दो कोको को!” मैंने कहा।
“मुझे और भी कई काम हैं” कहकर कमल कोको को घसीटता हुआ अन्दर ले गया।
कमल हमारे पड़ोस में रहता है साथ में उसके बड़े भाई का परिवार भी रहता है। मैंने हमेशा कमल को काम करते हुए देखा है कभी बागीचे की देखभाल, कभी सफाई करते हुए, कभी कपड़े सुखाते हुए। वह सभी काम ऐसे जूनुन से करता है मानो वह कोई गुस्सा निकाला रहा हो। कमल की पत्नी और बच्चे को मैंने कभी नहीं देखा। मैंने सोचा शायद वो कहीं दूसरे स्थान पर रहते होंगे।
एक दिन उसकी भाभी बाहर मिल गई। मैंने बातों -बातों में कमल के बारे में पूछा। उन्होंने कमल के बारे में जो कहा मैं सुनकर अवाक रह गई।
चार साल पहले कमल अपनी पत्नी के साथ बाइक पर कहीं जा रहा था तभी दोनों का एक्सीडेंट हो गया! कमल को तो थोड़ी चोट आई थी, मगर उसकी पत्नी और पत्नी के गर्भ में पल रहे पांच महीने के बच्चे की मौत हो गई थी। उसकी तो मानो दुनिया ही उजड़ गई ।
मुझे उसके अजीब व्यवहार का करण अब समझ में आया। क्यों उसे काम करते हुए देख ऐसा महसूस होता है मानो वो खुद को कोई दण्ड दे रहा है…..!
— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P