मुक्तक/दोहा

मुक्तक

विज्ञान और अध्यात्म का सम्बन्ध हो तो, उपलब्धियाँ सामने आ जायेंगीं,
धर्म का सानिध्य संस्कार में हो तो, ज्ञान की बातें साकार हो जायेंगीं।
क्या छिपा है ब्रह्मांड में, धरा गगन और पाताल मे, विज्ञान ने जाना नहीं,
अध्यात्म की गहराइयों में उतर कर देखिए, उलझनें सब सुलझ जायेंगीं।
सप्तलोक के रहस्य, अध्यात्म की ही देन हैं,
विज्ञान के लिए अभी, कल्पना की ही देन है।
क्षीर सागर वास विष्णु का, विचारकर देखिए,
निर्बाध आना-जाना वहाँ, धर्म की ही देन है।
मृत्यु लोक के रहस्य, अध्यात्म ही तो खोजता,
आत्मा का आवागमन, अध्यात्म ही तो खोजता।
कर्म अच्छे या बुरे, फल कहाँ कब कैसे मिलेगा,
रणभूमि में उपदेश सार, अध्यात्म ही तो खोजता।
धर्म का पाठ पढ़कर, आस्था को जानिए,
अध्यात्म की राह चल, रहस्य को जानिए।
कल्पना के रथ विचर, ज्ञान के साथ चल,
विज्ञान की सहायता से, प्रकृति को जानिए।
प्रकृति ही भगवान है, वेदों ने जग को बताया,
पंच तत्वों से जग निर्मित, वेदों ने सबको बताया।
भू गगन वायु अग्नि नीर, जोड़कर भगवान बनता,
हो सभी का संरक्षण संवर्धन, वेदों ने हमको बताया।
— अ कीर्ति वर्द्धन