गीतिका/ग़ज़ल

दीवाली

पुरातन    धर्म   का   भी   मर्म   बतलाती   है  दीवाली
हमें    है   प्रेम   से   रहना  ये  सिखलाती   है  दीवाली

कहीं  हमने  गरीबों  को  यहां   बांटा  कभी   जो  प्रेम
यहां  फिर  तब   गरीबी  में  भी  मुस्काती  है  दीवाली

दिया  जब  प्रेम  का  हम भी  जलाते  हैं  यहां  घर  में
जमाने   के   ॲंधेरे   को   यूॅं    बिसराती   है   दीवाली

हमें मिलजुल के  यह  ख़ुशियां मनाना  भी सिखाती है
अमावस   भी   घरों   में   रोशनी    लाती    है  दिवाली

रहें हम स्वस्थ  तन मन से, शिवा  अब  इस  जमाने  में
ख़ुशी   सबके   घरों  तक  ख़ूब   पहुंचाती   है  दीवाली

— अभिषेक श्रीवास्तव ‘शिवाजी’

अभिषेक श्रीवास्तव “शिवा"

पूरा नाम अभिषेक श्रीवास्तव, उप नाम - "शिवा" मूलतः मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के निवासी हैं, इन्होंने कंप्यूटर विज्ञान के साथ अपनी स्नातक पूर्ण की है, और ये कंप्यूटर के साथ-साथ हिंदी साहित्य में भी काफी रुचि रखते हैं, ये अभी तक करीब 120 पब्लिश रचनाएं लिख चुके हैं ,यह लेखन और पाठन से संबंधित प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उत्सुक रहते हैं। Insta:- @Shrivastava_alfazz