कविता

दोस्त

दोस्त वो है, जो दिल के करीब है,
वो दिल मे प्रेम बन कर रहता है,
वो दूर भी रहे तो दिल का करार है,
गर आये तो गले लगकर मिले !!
जीने का तरीका अलग हो तो क्या,
घर आये तो मन को साफ और
शिकवे शिकायत को जूते के साथ,
दरवाजे के बाहर छोड़कर आये !!
वो होता है, दोस्त कहलाने के काबिल,
हैं कुछ अनमोल मोती, दोस्त के रूप में,
अमीर हूँ, इस मामले में, आलिंगन कर,
मुझे गर्व से भर देते हैं, वो प्यारे दोस्त !!
— भगवती सक्सेना गौड़

*भगवती सक्सेना गौड़

बैंगलोर