कविता

ऑंखें धोखा खा जाती है

पीतल को सोना समझने के बाद
इन्सान की कीमत बढ़ जाती है
शमशान में सोने के पश्चात
गुलशन की सुंगध बढ़ जाती है
सुमन के यौवन के    बाद
दुर्जन बदबू तब देते हैं
धोखा मिल जाने के पश्चात
ईमान की सूरत अच्छी लगती है
ईमानदारी दिखलाने के बाद
बेईमानों की बोली दुषित होती है
सब कुछ लुट जाने के पश्चात
नारी अच्छी तब लगती है
प्रेम सर्मपन दिखलाने के बाद
कर्कश चरित्र बुरी लगती है
गृह क्लेश बढ़ जाने के पश्चात
दुनियाँ खूबसूरत लगने लगती है
जीवन में खुशी आने के बाद
जिन्दगी बोझ बन जाती है
दिल में ठोकर खाने के पश्चात
औलाद जन्नत लगने लगते हैं
सेवा भाव पाने के     बाद
जीवन नरक लगने लगता है
अपनों के ठुकराने के पश्चात
विद्वजन पूज्य बन जाते हैं
गुण प्रसार करने के बाद
विद्वान दुर्जन तब लगते हैं
षड़यंत्र की सृजन करने के पश्चात

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088