हुस्न की जाम
ऑंखों से पिला दे साकी
अपनी हुस्न की ये जाम
होश मेरा खो जाये तब
दिन हो या हो जाये शाम
प्यासा हूँ तेरी मोहब्बत की
नजरअंदाज ना करना मेरी जान
इस जन्म में गर मिल ना पायें तो
अगले जन्म में करना है इन्तजाम
इतिहास अपनी लिख रहा हूँ
लैला मजनूँ सा हो पयाम
भूले बिसरे आ जाना है
पढ़ने मेरे प्यार की पैगाम
नजरें चुरा लेती हो जब जब
ऑखें निराश हो तेरे द्वार
मेरी हालात समझ लेना तूँ
कभी तो मिटेगा ये इन्तजार
तेरी मोहब्बत की जिद में
ये मन बहक जाता है हर बार
मेरे घर की ऑगन में
तेरे पायल की गुजें झंकार
आ जा पहना दूँ सुर्ख लाल जोड़ा
दुल्हन सा तुम्हें सजा दूँगा
तेरे प्यार पाने की जिद में
अगले जन्म में फिर आ जाऊँगा
— उदय किशोर साह