गीत/नवगीत

अब कहां मरने पर शोक

अपनों कि मौत का अब कहां
लोग पहले सा शोक मनाते
तेरहवी तक भी रूक ना पाते
प्रतिष्ठान बंद किये शोक मे दो दिन
ये भी नुकसान हुआ दो दिन आय
का , यह कह जतलाते।।
अपनों कि मौत का अब कहां
लोग पहले सा शोक मनाते।।
होते दो दिन ही की सिर मुंडवाई
रस्म निभा दर्द ए जज्बात बताते
अंदर से तड़प रहे , शोक बंधन से
बस जल्द से जल्द मिलना चाहते
दिखावा सिर्फ दुख का कर जाते
हुई रस्म कि तुरंत काम पर जाते।।
अपनों कि मौत का अब कहां
लोग पहले सा शोक मनाते।।
देखो रिश्तों के बंधन खोखले बताते
छल अपनों को ही पापी पाप कमाते
खाता लिख रहा भग्वान आज सबका
सुनो पाप , पुण्य इसी धरा पर सब पाते
देखो मरने वाले तुम्हें बहुत थे चाहते
किसी के जनक तो किसी के सगै
भाई बहन इस दुनिया से हैं जाते
फर्क ना पड़े उनको जो मतलब से
रिश्ते सिर्फ निभाते ।।
अपनों कि मौत का अब कहां
लोग पहले सा शोक मनाते।।
— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित